अंतर्राष्ट्रीय संसदीय अध्ययन अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान व हिमालयन विश्वविद्यालय के बीच एमओयू साइन -
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अंतर्राष्ट्रीय संसदीय अध्ययन अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान व हिमालयन विश्वविद्यालय के बीच एमओयू साइन

गैरसैंण स्थित शोध संस्थान और एसआरएचयू जौलीग्रान्ट मिलकर करेंगे अध्ययन, शोध एवं प्रशिक्षण पर संयुक्त कार्य

देहरादून। उत्तराखंड की ग्रीष्मकालीन राजधानी भराड़ीसैंण को नीति, नवाचार और अनुसंधान का केंद्र बनाने की दिशा में आज एक ऐतिहासिक पहल की गई। यह रणनीतिक समझौता उत्तराखंड विधान सभा की अध्यक्ष ऋतु खण्डूड़ी भूषण की दूरदर्शी सोच, प्रभावशाली नेतृत्व और सक्रिय पहल का परिणाम है। उनकी गरिमामयी उपस्थिति में स्वामी राम हिमालयन विश्वविद्यालय, जौलीग्रांट और अंतर्राष्ट्रीय संसदीय अध्ययन, अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान, भराड़ीसैंण-गैरसैंण के बीच एक महत्वपूर्ण आपसी एमओयू पर हस्ताक्षर किए गए। इस समझौते का उद्देश्य राज्य में पर्यावरण, जलवायु परिवर्तन, पेयजल, जल स्रोत प्रबंधन, स्वास्थ्य, स्वच्छता, महिला सशक्तिकरण और ग्रामीण नवाचार, सामुदायिक शासन व्यवस्था में सहभागी कार्यनीति और संस्थागत सहयोग को बढ़ावा देना है। एमओयू पर विश्वविद्यालय की ओर से रजिस्ट्रार कमांडर चल्ला वेंकटेश्वर (से.नि.) और शोध संस्थान की ओर से सचिव हेम चंद्र पंत ने हस्ताक्षर किए।
इस अवसर पर बोलते हुए विधान सभा अध्यक्ष ऋतु खण्डूड़ी भूषण ने कहा कि यह समझौता केवल दो संस्थाओं के बीच नहीं, बल्कि उत्तराखंड के भविष्य की दिशा को तय करने वाला कदम है। उन्होंने कहा, “हमारा सपना है कि भराड़ीसैंण केवल एक प्रशासनिक राजधानी न रहकर एक ऐसा केन्द्र बने जहाँ नीति, विज्ञान, शोध और परंपरा मिलकर उत्तराखंड की समस्याओं के समाधान गढ़ें। हमारी कोशिश है कि यहां से ऐसी नीतियां निकलें जो हिमालयी राज्यों के लिए मार्गदर्शक बनें। यह समझौता एक ‘पॉलिसी इनोवेशन हब’ की नींव है।”
उन्होंने यह भी कहा कि “यह साझेदारी विधायकों, वैज्ञानिक संस्थानों, प्रशासन और समाज के बीच एक सेतु का कार्य करेगी। इससे हमारे नीतिगत फैसले केवल दस्तावेजों तक सीमित न रहकर जमीन से जुड़े, व्यवहारिक और जन-संवेदनशील बन सकेंगे। भराड़ीसैंण को एक जन-केंद्रित नीति राजधानी के रूप में विकसित करना हमारा संकल्प है।’’कार्यक्रम को संबोधित करते हुए विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. राजेन्द्र डोभाल ने कहा कि विश्वविद्यालय का उद्देश्य केवल शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा तक सीमित नहीं है, बल्कि सेवा, विज्ञान और समाज के बीच एक सेतु बनाना है। विश्वविद्यालय बीते तीन दशकों में ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल, स्वास्थ्य, पर्यावरण संरक्षण, जलवायु अनुकूलन और महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य किया है। अब यह अनुभव नीति-निर्माण की प्रक्रिया से जुड़कर अधिक व्यापक बदलाव लाएगा।
इस समझौते के अंतर्गत दोनों संस्थाएं जलवायु-संवेदनशील क्षेत्रों में पर्यावरण, जलस्रोत पुनर्जीवन (स्प्रिंगशेड प्रबंधन), वर्षा जल संचयन, महिला नेतृत्व, पारंपरिक ज्ञान आधारित समाधान और समग्र स्वास्थ्य जैसे विषयों पर संयुक्त परियोजनाएं प्रारंभ करेंगी। साथ ही विधायकों, पंचायत प्रतिनिधियों, महिला समूहों, युवाओं और अधिकारियों के लिए प्रशिक्षण, अध्ययन यात्रा, नीति संवाद और डिजिटल मंच का विकास किया जाएगा। यह भागीदारी केन्द्र एवं राज्य सरकार की प्रमुख योजनाओं के साथ समन्वय स्थापित करेगी और प्रतिष्ठित अंतर्राष्ट्रीय संस्थानों से सहयोग की संभावनाओं को भी विस्तार देगी। कार्यक्रम में यह स्पष्ट किया गया कि भराड़ीसैंण-गैरसैंण को अब नीति, नवाचार और पारिस्थितिकीय शोध के एक सक्रिय केंद्र के रूप में विकसित किया जाएगा, जहाँ से भविष्य की योजनाएं आकार लेंगी। इस अवसर पर शोध संस्थान के सचिव हेम चंद्र पंत ने शोध संस्थान की भूमिका, उद्देश्य और भावी योजनाओं की जानकारी साझा की। उन्होंने बताया कि भराड़ीसैंण स्थित यह संस्थान उत्तराखंड विधानसभा के नेतृत्व में एक ऐसी पहल है जो राज्य को नीति, शोध और प्रशिक्षण का केंद्र बनाने की दिशा में कार्य कर रही है। श्री पंत ने विश्वास जताया कि इस समझौते से न केवल संस्थान की कार्यक्षमता बढ़ेगी, बल्कि उत्तराखंड में नीति नवाचार और जन-भागीदारी आधारित शासन को भी नई दिशा मिलेगी। इस अवसर पर स्वामी राम हिमालयन विश्वविद्यालय के डॉयरेक्टर जनरल (अकादमिक) डॉ. वी. चैहान ने विश्वविद्यालय की कार्यशैली और व्यापक योगदान की जानकारी देते हुए कहा, विश्वविद्यालय एक ऐसा संस्थान है जो शिक्षा, अनुसंधान और सेवा के त्रिवेणी संगम पर कार्य करता है। इस अवसर पर एसआरएचयू के सलाहकार प्रो. एच.पी. उनियाल ने उत्तराखंड विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खण्डूड़ी भूषण द्वारा विश्वविद्यालय पर जताए गए विश्वास और अपेक्षाओं के लिए आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा, यह हमारे लिए सम्मान और जिम्मेदारी दोनों है कि अध्यक्ष ने स्वामी राम हिमालयन विश्वविद्यालय को इस ऐतिहासिक साझेदारी के लिए चुना। हम यह सुनिश्चित करेंगे कि विश्वविद्यालय पर जो अपेक्षाएं रखी गई हैं, उन्हें धरातल पर पूरी निष्ठा और प्रतिबद्धता के साथ उतारा जाए। कार्यक्रम में विश्वविद्यालय की ओर से प्रो-वाइस चांसलर डॉ. ए.के. देवराड़ी, निदेशक जनरल (अकादमिक) डॉ. वी. चैहान, सलाहाकार प्रो. एच.पी. उनियाल, सलाहकार प्रो. (डॉ.) हेम चन्द्र, रजिस्ट्रार कमांडर चल्ला वेंकटेश्वर, उपनिदेशक नितेश कौशिक, सहायक प्रबन्धक राजकुमार वर्मा और समन्वयक सुजीत थपलियाल सहित विधान सभा शोध संस्थान के कार्यकारी समिति के अधिकारी मौजूद रहे।

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