स्कूली शिक्षकों के लिए राहत देने वाली एक बड़ी खबर,पढिये पूरी खबर -
1 win4r betpin up betpinuplucky jet crashparimatchlucky jet casinomosbet indialucky jet xpin up1win casino1 win azmosbet casino1winmostbet aviator login1 win aviatormostbet kz1win casinomostbet kzpin uplucky jet onlinemosbet casino1win aposta1win loginaviatormostbet casino kz4rabet bangladeshmosbet1 win casinoparimatchpin-up kzmosbet kzpin-upmosbetpin up casino onlinelackyjet1win aviator1 winpinupmostbetpinap4rabet bd1 вин авиатор1win kzpinup1win casino4rabetmostbet indiamostbetmostbet kz1win aviator

स्कूली शिक्षकों के लिए राहत देने वाली एक बड़ी खबर,पढिये पूरी खबर

स्कूली शिक्षकों के लिए फिलहाल राहत देने वाली एक बड़ी खबर है। आने वाले दिनों में उन्हें सभी गैर- शैक्षणिक कार्यो से पूरी तरह से मुक्त किया जा सकता है। ऐसे में उनके जिम्मे अब सिर्फ और सिर्फ बच्चों को पढ़ाने की ही जवाबदेही रहेगी। अभी स्कूलों में पढ़ाने वाले इन शिक्षकों का सबसे ज्यादा फोकस बच्चों के लिए दोपहर का भोजन (मिड-डे मील) तैयार कराने और उन्हें खिलाने को लेकर ही रहता है। इसके अलावा वोटर लिस्ट तैयार करने, जनगणना करने आदि काम भी उनके जिम्मे रहते है।

शिक्षक गैर-शैक्षणिक गतिविधियों से दूर रहेंगे

मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने प्रस्तावित नई शिक्षा नीति के अपने अंतिम मसौदे में स्कूली शिक्षकों को गैर-शैक्षणिक गतिविधियों से पूरी तरह से अलग करने का सुझाव दिया है। साथ ही उम्मीद जताई है, कि इससे स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार भी दिखेगा।

शिक्षक मिड- डे मील की जिम्मेदारी से मुक्त होंगे

प्रस्तावित नई शिक्षा नीति तैयार करने वाली कमेटी ने अपने प्रारम्भिक मसौदे में भी शिक्षकों को मिड- डे मील की जिम्मेदारी से अलग रखने का सुझाव दिया गया था। हालांकि इसे मंत्रालय ने अब और सख्त बताते हुए इनमें मिड-डे मील के साथ ही सभी गैर-शैक्षणिक कार्यो से उन्हें मुक्त रखने का सुझाव दिया है। यह कदम इसलिए भी अहम है, क्योंकि स्कूलों में शिक्षकों की पहले से ही भारी कमी है।

देश भर के स्कूलों में दस लाख पद खाली हैं

एक रिपोर्ट के मुताबिक देश भर के स्कूलों में कुल स्वीकृत पदों के मुकाबले करीब दस लाख पद खाली पड़े है। यही वजह है कि मंत्रालय ने प्रस्तावित नीति ने इसे प्रमुखता से जगह दी है। प्रस्तावित नीति के जल्द ही कैबिनेट के सामने पेश किए जाने की तैयारी है।

शिक्षकों को बीएलओ जैसी जिम्मेदारी से मुक्त करने का सुझाव

स्कूली शिक्षकों को चुनावी कार्य सहित दूसरे गैर-शैक्षणिक कार्यों से मुक्त करने का सुझाव इससे पहले नीति आयोग ने भी दिया था। हालांकि दिल्ली जैसे कुछ राज्यों ने इस पर गंभीरता दिखाई और शिक्षकों को बीएलओ (बूथ लेवल आफीसर) जैसी जिम्मेदारी से अलग किया है। बावजूद इसके ज्यादातर राज्यों में अभी भी शिक्षकों को लंबे चलने वाले चुनाव कार्यो से जोड़कर रखा गया है। पिछले दिनों नीति आयोग ने राज्यों से ऐसे शिक्षकों को ब्यौरा मांगा था। साथ ही प्रत्येक जिलों से पूछा था कि क्या वह शिक्षकों के अलावा और किसी को भी चुनावी कार्यो की जिम्मेदारी दे सकता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *