पहले शहर से गांव जाती थी शराब अब गांव से शहर आ रही

पहले शहर से गांव जाती थी शराब अब गांव से शहर आ रही

पहले शहर से गांव जाती थी शराब अब गांव से शहर आ रही

चमोली। कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों के बाद सरकार की ओर से लिए गये लाॅक डाउन के निर्णय के बाद आवश्यक वस्तुओं की दुकानों के अलावा शराब की दुकान को भी बंद करने के निर्णय लिया गया है।

शराब की दुकाने तो बंद है लेकिन शराब गांवों में खुलेआम बिक रही है यही नहीं शहर के नजदीक के गांव से शहर में भी धडल्ले से शराब पहुंच रही है। जो आबकारी विभाग की कार्य प्रणाली पर एक बड़ा सवाल खड़ा कर रहा है और इसकी विफलता को भी दर्शा रहा है। इस बारे में विभागीय अधिकारियों से संपर्क करने का प्रयास भी किया जा रहा है, लेकिन विभागीय अधिकारी इतने ढ़ीट बने हुए है कि वे फोन उठाने को तैयार नहीं है।

सरकार की ओर से 10 मई से शराब की दुकानों को पूर्ण रूप से बंद करने का निर्णय लिया गया था। उसके बाद से शहरी क्षेत्रों में शराब की ब्रिकी तो बंड पड़ी है लेकिन शराब की दुकानों के बंद होने के आदेश से पहले ही शराब की भारी मात्रा में खेप गांवों तक पहुंचने की बात सामने आ रही है।

यही कारण है कि इस कोरोना लाॅक डाउन में आबकारी विभाग के नाक के नीचे से गांव से शहर की ओर उंचे दामों में शराब शहर की ओर पहुंच रही है। और आबकारी विभाग बेखबर बना हुआ है। गांव तक पहुंची शराब का अंदाजा इसी बात से लगाया 13 मई को घाट विकास खंड के सुंग गांव में शौचालय के नवनिर्मित पिट से 71 पेटी अवैध शराब की पेटी पकड़ी गई थी। जब शराब गांव से शहर और शहर से गांव पहुंच ही रही है तो फिर शराब की दुकानों को बंद करने का क्या औचित्य रह गया यह लोगों की समझ से परे है।

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