नई दिल्ली। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम ने बुधवार को कहा कि सरकार को नीरव मोदी, मेहुल चोकसी और विजय माल्या जैसे भगोड़े कारोबारियों के संदर्भ में कर्ज को बट्टे खाते में डालने का नियम लागू नहीं करना चाहिए।
उन्होंने यह टिप्पणी उस वक्त की है जब कांग्रेस के एक आरोप को लेकर पलटवार करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार रात कहा कि जानबूझ कर ऋण नहीं चुकाने वाले संप्रग सरकार की ‘फोन बैंकिंग’ के लाभकारी हैं और मोदी सरकार उनसे बकाया वसूली के लिए उनके पीछे पड़ी है। चिदंबरम ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से संवाददाताओं से कहा, कोई इस बात से इनकार नहीं कर रहा है कि जानबूझ कर कर्ज अदा नहीं करने वालों पर कर्ज बट्टे खाते में डालने वाला नियम लागू नहीं होना चाहिए। परंतु हम इन भगोड़ों के बारे में सवाल कर रहे हैं। वे देश छोडक़र भाग चुके हैं। आप यह नियम नीरव मोदी, मेहुल चोकसी और विजय माल्या के लिए लागू क्यों कर रहे हैं। पूर्व वित्त मंत्री ने कहा कि भगोड़े लोगों के मामले में तकनीकी नियम लागू नहीं होना चाहिए। दरअसल कांग्रेस का दावा है कि ‘24 अप्रैल को आरटीआई के जवाब में रिजर्व बैंक ने सनसनीखेज खुलासा करते हुए 50 सबसे बड़े बैंक घोटालेबाजों का 68,607 करोड़ रुपया ‘माफ करने’ की बात स्वीकार की। इनमें भगोड़े कारोबारी चोकसी, नीरव मोदी और माल्या के नाम भी शामिल हैं।
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