देहरादून। AAP पार्टी प्रदेश संचालन समिति के अध्यक्ष रहे नवीन पिरशाली ने गैरसैण को, प्रदेश की ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित किये जाने पर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को घेरते हुये इस घोषणा को पहाड़ की जनता के लिये झुनझुना बताया है। श्री पिरशाली ने कहा कि 2022 के विधानसभा चुनाव में भाजपा की करारी हार के लक्षण अभी से दिखाई देने से डरी भाजपा और त्रिवेंद्र रावत ने गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी की घोषणा कर पर्वतीय राजधानी की मांग कर रहे लोगों को झुनझुना पकड़ा कर गैरसैण को केवल नेताओं की ऐशगाह बनाने का काम किया है, साथ ही त्रिवेंद्र रावत ने इस घोषणा के साथ ही कई प्रश्न खड़े कर दिये हैं जैसे क्या देहरादून शीतकालीन राजधानी होगी? क्या ऊत्तराखण्ड की कोई स्थायी राजधानी नही होगी? इतने कर्ज में डूबा उत्तराखण्ड दो-दो राजधानियों के खर्च का बोझ कैसे उठा पायेगा? उन्होंने कहा कि इस समय उत्तराखंड में अब तक की सबसे प्रचण्ड बहुमत वाली जितनी ताकतवर सरकार है उसका मुखिया उतना ही कमजोर होने के कारण भाजपा की प्रदेश के लिये कोई भी नीति स्पष्ठ नहीं है। ये तथाकथित डबल इंजन की सरकार अगर चाहती तो केंद्र से अनुरोध कर गैरसैण को स्मार्ट सिटी घोषित कर इसका विकास भी कर सकती थी। श्री पिरशाली ने त्रिवेंद्र सिंह रावत पर हमला करते हुये कहा कि अपनी कार्यशैली के कारण सबसे ज्यादा कर्ज निकालने वाले मुख्यमंत्री का रिकॉर्ड बनाने वाले त्रिवेंद्र रावत ये बताएं कि उतराखण्ड में दो-दो राजधानियों के खर्च का इंतजाम कैसे करेंगे और प्रदेश के कंधों पर लगभग पचास हजार करोड़ के भारी भरकम कर्ज के बोझ को उतारने का उनके पास क्या रोडमैप है? मुख्यमंत्री ने जो इतना पैसा कर्ज का लिया है ये कहा जा रहा है जबकि प्रदेश में कोई भी विकास योजना धरातल पर दिखाई नहीं दे रही है। इन सब सवालों का जवाब प्रदेश की जनता जानना चाहती है। मुझे अंदेशा है कि ये पैसा उत्तराखण्ड होते हुए भाजपा के प्रदेश और केंद्र के चुनावी फण्ड में जा रहा है। उन्होंने कहा कि ये दिन उत्तराखण्ड के दूरदराज से शिक्षा, स्वास्थ्य व तमाम तरह की असुविधाओं की शर्मनाक तस्वीरें सामने आती रहती हैं। त्रिवेंद्र रावत ये बतायें कि आपने इतने कर्ज का पैसा कहाँ खर्च किया? उत्तराखण्ड में सारे ठेके अपने व मंत्रियों के रिश्तेदारों को बाँटे जा रहे हैं, आप सरकार नही बल्कि प्राइवेट लिमिटेड कम्पनी चला रहे हैं। आपका लगभग एक चौथाई मंत्रिमंडल आज तक खाली है, खुद अपने पास पचासों मंत्रालय किसलिये रखे हैं, प्रदेश की जनता इसका जवाब जानना चाहती है।