ऊषा ने श्रीनगर में कश्मीर के खेल तुरई कर का पुनरोद्धार किया: प्रकृति से प्रेम बढ़ाने वाले इस खेल की ओर 190 युवा आकर्षित हुए

श्रीनगर: भारत के अग्रणी कंज्यूमर ड्यूरेबल ब्रांड, ऊषा ने कश्मीरी युवाओं को घरेलू खेलों की ओर आकर्षित करने के लिए “आओ खेलें तुरई कर!” कार्यशाला में अपना सहयोग दिया। मूल सस्टेनेबिलिटी रिसर्च एंड ट्रेनिंग सेंटर (मूल) के सहयोग से आयोजित इस कार्यक्रम में लार, गंडरबल के गवर्नमेंट बॉयज़ हायर सेकंडरी स्कूल (जीबीएचएसएस) के 190 बच्चों ने हिस्सा लिया। इस कार्यक्रम में गेस्ट ऑफ़ ऑनर, श्री सिराज अहमद, प्रिंसिपल, जीबीएचएस स्कूल; श्री रियाज़ुल गनी, व्याख्याता, जीबीएचएस स्कूल; सुश्री आयशा, वरिष्ठ व्याख्याता, जीबीएचएस स्कूल और सुश्री लुबना रफीकी, सैग इको विलेज थे, जिन्होंने युवा प्रतिभागियों के उत्साहित प्रयासों को सम्मानित व पुरस्कृत किया।
प्रतिष्ठित चैरिटेबल ट्रस्ट, मूल का उद्देश्य कश्मीर में क्षमता निर्माण, शिक्षा एवं समग्र सामुदायिक विकास बढ़ाकर सस्टेनेबल परिवर्तन लाना है। ऊषा के प्ले सिद्धांतों के अनुरूप इस गठबंधन द्वारा दोनों संगठनों के साझा मिशन को बल मिलता है, जिसके अंतर्गत स्थानीय खेलों को सहयोग व बढ़ावा देना शामिल है, ताकि कश्मीर की युवा पीढ़ी का व्यक्तिगत विकास एवं सामुदायिक विकास संभव हो सके।
तुरई कर एक उत्साहवर्धक खेल है, जिसमें ‘सबसे अच्छी कोशिश’ करने की भावना प्रतिबिंबित होती है। इसमें पूरी टीम का सहयोग ज़रूरी होता है, जिसमें एक पक्ष बहादुरी से एक पेड़ की रक्षा करता है, तथा विरोधी टीम उसी पेड़ की स्नेहपूर्वक देखभाल करने के लिए इन रक्षकों को हटाकर उस पेड़ का आधिपत्य लेने की कोशिश करती है। खेल का समापन दोनों टीमों द्वारा पेड़ को गले लगाने के साथ होता है, जो मानव और प्रकृति के बीच अटूट स्नेह का स्मरण कराता है। तुरई कर खेल से मनोरंजन के साथ-साथ टीम वर्क, रणनीतिक योजना, समय के प्रबंधन और अपने हृदय की अभिव्यक्ति जैसे मूल्यों को बढ़ावा मिलता है। तुरई कर की विजेता टीमें तहसीन यूसुफ के नेतृत्व में लड़कों की टीम, चिनार और सीएसएस शिक्षिका नाज़िमा के नेतृत्व में लड़कियों की टीम, काइट फ़्लायर्स हैं।
कोमल मेहरा, हेड- स्पोर्ट्स इनिशिएटिव्स एवं एसोसियेशंस, ऊषा इंटरनेशनल ने कहा, “अपनी समृद्ध संस्कृति और विरासत के साथ भारत में अनोखे घरेलू खेलों का खजाना है। हम ना केवल तुरई कर जैसे खेलों को बढ़ावा देने, बल्कि बच्चों और प्रकृति के बीच स्नेह बढ़ाकर समाज निर्माण में उनके महत्व को पहचान दिलाने के लिए भी प्रतिबद्ध हैं। इन खेलों के आयोजन, इनमें भाग लेने और इन्हें प्रोत्साहित करने में ऊषा सिलाई स्कूल की महिलाओं के सक्रिय सहयोग से इन कार्यक्रमों का उत्साह बढ़ गया, और वो बिल्कुल ख़ास बन गए।”
ऊषा द्वारा चुस्त, स्वस्थ जीवनशैली और सामुदायिक संलग्नता के लिए पूरे देश में चलाए जा रहे अभियानों से स्थानीय पारंपरिक खेलों को पुनर्जीवित करने की इसकी अटूट प्रतिबद्धता प्रदर्शित होती है। इन कार्यक्रमों में हिस्सा लेने वाली ऊषा सिलाई स्कूल की महिलाओं का बहुमूल्य सहयोग इस प्रतिबद्धता को प्रतिबिंबित करता है। विभिन्न खेलों को बढ़ावा देने के ऊषा के प्रयास पूरे भारत में चल रहे हैं, जिनमें सामरिक साझेदारियां भी शामिल हैं। इन प्रयासों के अंतर्गत कई खेलों को सहयोग दिया गया है, जिनमें दृष्टिबाधितों के लिए खेल और भारत के अन्य घरेलू खेल भी शामिल हैं। इनमें कई रणनीतिक साझेदारियां, जैसे मुंबई इंडियंस फ्रेंचाइजी के साथ सहयोग, अल्टीमेट फ्लाइंग डिस्क, गोल्फ, दिव्यांगों का क्रिकेट, और दृष्टिबाधितों के लिए खेल जैसे एथलेटिक्स, कबड्डी, जूडो, और पॉवरलिफ्टिंग शामिल हैं। इसके अलावा, ऊषा द्वारा कलारी, छिंज, सियात खनम, थांग-ता, साज़-लौंग, सतोलिया (पीठू के नाम से लोकप्रिय), मल्लखंब और गटका जैसे घरेलू भारतीय क्षेत्रीय खेलों को भी सहयोग दिया जाता है।
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