मकर संक्रांति पर उमड़ा श्रद्धा का सैलाब, घाटों पर लगाई आस्था की डुबकी

देव के दक्षिणायन से उत्तरायण होने के पर्व मकर संक्रांति पर्व पर उत्तराखंड में गंगा और सभी सहायक नदियों में आस्था का सैलाब उमड़ पड़ा। हरिद्वार, ऋषिकेश, देवप्रयाग आदि स्थानों पर तड़के से श्रद्धालुओं का स्नान शुरू हो गया। स्थान के बाद पूजा अर्चना के साथ ही दान दक्षिणा देकर श्रद्धालुओं ने पुण्य भी कमाया। वहीं, जगह-जगह खिचड़ी के रूप में प्रसाद का वितरण भी किया गया। कुमाऊं के मंदिरों में भी श्रद्धालुओँ की भीड़ उमड़ी रही। वहीं, नदियों के घाटों में स्नान को लेकर लोगों में उत्साह रहा।

हरिद्वार में गत दिवस से ही श्रद्धालु हरकी पैड़ी पहुंचने लगे थे। पुलिस प्रशासन के अनुसार कल शाम तक सात लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने हरिद्वार में डुबकी लगाई। आज सुबह से ही हरिद्वार के गंगा घाटों में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ने लगी।

धर्मनगरी में मकर संक्रांति समेत अन्य स्नान पर्वों पर दिल्ली, पंजाब, नेपाल, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, हरियाणा आदि राज्यों के श्रद्धालु भी गंगा में डुबकी लगाने पहुंच रहे हैं। श्रद्धालुओं ने हरकी पैड़ी सहित बिरला घाट, वीआइपी घाट, मालवीय घाट सहित अन्य गंगा घाटों पर स्नान किया। इस बार यह पर्व दो दिन का है। ज्योतिषाचार्य पंडित शक्तिधर शर्मा शास्त्री के अनुसा बुधवार को भी मकर संक्रांति स्नान का पुण्यकाल बना है।

स्नान के बाद लोगों ने पितरों के निमित्त कर्मकांड करने के साथ ही दान भी किया। इस दौरान जिलाधिकारी दीपेंद्र चौधरी, एसएसपी सेंथिल अबुदई कृष्णराज एस और एसपी सिटी कमलेश उपाध्याय हरकी पैड़ी समेत अन्य स्थानों पर सुरक्षा व्यवस्था का लगातार जायजा लेते रहे।

देव डोलियों को कराया स्नान

हरकी पैड़ी पर श्रद्धालुओं ने देव डोलियों को भी गंगा स्नान कराया। कटरा(जम्मू) से वैष्णो देवी के अलावा नई टिहरी एवं अन्य स्थानों से देव डोलियों को ढोल-नगाड़ों के साथ स्नान के लिए लाया गया। श्रद्धालुओं ने हरकी पैड़ी पर पूजा-अर्चना कर देव डोलियों को गंगा में स्नान कराया। इसके साथ ही पौड़ी, गढ़वाल, कुमाऊं से पहुंचे श्रद्धालुओं ने देव डोलियों को गंगा स्नान कराकर पुण्य अर्जित किया।

शुभ कार्य शुरू

मकर संक्रांति के साथ ही रुके हुए शुभ कार्य भी शुरू हो गए हैं। अब होली पर होलाष्टक लगने से पहले तक मांगलिक कार्यों समेत अन्य शुभ कार्य संपन्न हो सकेंगे। मुंडन, यज्ञोपवीत आदि के लिए लोग उत्तरायण की प्रतीक्षा करते हैं।

बांटा खिचड़ी का प्रसाद

मकर संक्रांति पर जगह-जगह खिचड़ी का प्रसाद बांटा गया। कई स्थानों पर सार्वजनिक रूप से खिचड़ी बंटी। हरकी पैड़ी पर अखिल भारतीय बिजनौरी महासभा ने श्रद्धालुओं को खिचड़ी बांटी। इस दौरान महासभा के अध्यक्ष बलराम सिंह चौहान, मनोज गिरि, प्रमोद गिरि आदि उपस्थित रहे। गोङ्क्षवद घाट पर श्रद्धालुओं को खिचड़ी प्रसाद का वितरण हुआ। अन्न और वस्त्र दान भी किया गया।

श्रद्धालुओँ ने लगाई डुबकी, संस्थाओं ने बांटा प्रसाद 

मकर सक्रांति उत्तरायणी पर्व ऋषिकेश आसपास क्षेत्र में श्रद्धालुओं में खासा उत्साह देखा गया। सुबह से ही श्रद्धालु त्रिवेणी घाट सहित मुनिकीरेती, लक्ष्मण झूला, स्वर्गाश्रम गंगा तट पर स्नान के लिए पहुंचने लगे। धार्मिक संस्थाओं के द्वारा गरीब निराश्रित लोगों के लिए खिचड़ी और चाय की व्यवस्था की गई है।

श्री गंगा सभा के द्वारा ध्वनि विस्तारक यंत्रों के जरिए श्रद्धालुओं को निरंतर जागरूक किया जा रहा है। कोतवाली पुलिस के द्वारा स्नान में किसी भी जल दुर्घटना को डालने के लिए जल पुलिस को तैनात किया गया है। घाट चौकी प्रभारी उत्तम रमोला ने बताया कि त्रिवेणी घाट पर नियमित स्टाफ के अतिरिक्त 10 पुलिसकर्मी अलग से तैनात किए गए हैं। धार्मिक संस्थाओं के द्वारा यहां यज्ञ और हवन की भी व्यवस्था की गई है।

सैकड़ों श्रद्धालुओं ने लगाई पुण्य की डुबकी

मकर संक्रांति के पावन पर्व पर उत्तरकाशी में सैकड़ों श्रद्धालुओं और देव डोलियों ने गंगा (भागीरथी) में आस्था की डुबकी लगाई। पूजा अर्चना के बीच श्रद्धालुओं ने मंदिरों में जलाभिषेक किया। भागीरथी का हाड कंपा देने वाला बर्फीला पानी भी श्रद्धालुओं के उत्साह को ठंडा नहीं कर पाया है। क्या बच्चे, क्या बूढ़े और क्या जवान, मकर संक्रांति के पावन पर्व पर आस्था की डुबकी लगाने में कोई भी पीछे नहीं रहा।

बुधवार की तड़के से उत्तरकाशी में गंगा घाटों पर श्रद्धालुओं का हुजूम उमड़ पड़ा। दर्जनों देव डोलियों की मौजूदगी, ढोल-नगाड़ों की आवाज और मां गंगा के जयकारों से नगर का माहौल भक्तिमय हो गया। मकर संक्रांति के स्नान को लेकर लोगों में खासा उत्साह दिखा। टिहरी और दूरदराज क्षेत्रों से मंगलवार से ही देव डोलियों के पहुंचने का सिलसिला शुरू हो गया था।

उत्तरकाशी के पौराणिक मणिकर्णिका, जड़भरत, गंगोरी, केदार, लक्षेश्वर आदि स्नान घाटों पर बुधवार तड़के ढाई बजे से ही श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़नी शुरू हो गई थी। स्नान पर्व पर नाग देवता, बाल कंडार, धनारी क्षेत्र से नागराजा, चंदणनाग, नागणी देवी, रनाड़ी के कचड़ू देवता, डुंडा की रिंगाली देवी, गाजणा क्षेत्र से भैरव, चौरंगी नाथ, नागराजा, बरसाली के नागराजा, रेणुका देवी, चिन्यालीसौड़ की राजराजेश्वरी, टिहरी से सुरकंडा देवी आदि दर्जनों देवी-देवताओं की डोलियां, ढोल, निशान आदि के साथ हजारों श्रद्धालु उत्तरकाशी पहुंचे।

स्नान घाटों और नगर के काशी विश्वनाथ मंदिर सहित तमाम मंदिरों में श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा। गायत्री परिवार एवं साईं मंदिर समिति की ओर से मणिकर्णिका घाट पर श्रद्धालुओं के लिए निशुल्क चाय की व्यवस्था की गई। ज्योतिषाचार्य पंडित सुरेश शास्त्री भट्ट ने बताया कि मकर संक्रांति पर सूर्य उत्तरायण होकर मकर राशि में प्रवेश करता है, लिहाजा सभी शुभ कार्य शुरू हो जाते हैं। मकर संक्रांति पर गंगा स्नान तथा दान पुण्य का विशेष महत्व होता है।

भगवान आदिबद्री धाम के कपाट खुले 

मकर संक्रांति को सुबह ब्रह्ममुहूर्त में खोल दिए गए हैं। भगवान आदिबद्री धाम को गेंदे के फूलों से सजाया गया है। कपाट खुलने के बाद ही मंदिर में धार्मिक कार्यक्रम के साथ साथ संस्कृति कार्यक्रमों का भी आयोजन किया गया। आदिबदरी के कपाट खुलने पर एक सप्ताह तक वार्षिक महाभिषेक होता है। मंदिर को दो कुन्तल पीले गैंदे के फूलों से सजाया गया है।

हर वर्ष  की तरह इस वर्ष भी श्री आदिबदरी  के कपाट पौष माह में बंद रहने के पश्चात मकर संक्रांति को ब्रहममुहूर्त में श्रद्धालुओं के लिए खोले जाते हैं। मंदिर के पुजारी चक्रधर थपलियाल ने परंपरा अनुसार मंदिर के कपाट खोले। इसके बाद भगवान आदिबदरी नाथ जी को सप्तसिंधु के जल से भगवान को स्नान कराया गया। इसके बाद नए वस्त्रों के साथ भगवान का श्रृंगार किया गया। मंदिर समिति ने गर्भ गृह में भगवान के श्रृंगार दर्शन के लिए श्रृद्धालुओं के लिए विशेष व्यवस्था की है।

राज्यपाल और सीएम ने मकर संक्रांति पर्व पर दी बधाई

राज्यपाल बेबी रानी मौर्य और मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने प्रदेशवासियों को मकर संक्रांति की बधाई व शुभकामनाएं दीं। अपने संदेश में उन्होंने कहा कि मकर संक्रांति पर्व धार्मिक, आध्यात्मिक एवं सामाजिक चेतना की जागृति से संबंधित है।

प्रदेश की खुशहाली व समृद्धि की कामना करते हुए उन्होंने कहा कि यह पर्व सूर्य और नदियों व जल स्रोतों की उपासना के साथ प्रकृति व पर्यावरण के संरक्षण का संदेश भी देता है। इस अवसर पर हमें वर्ष पर्यंत गरीब और वंचितों की सहायता का संकल्प लेना चाहिए।

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