बिना काटे ही प्याज लोगों के आंसू निकाल रहा है,पढ़िए पूरी खबर

खाने का जायका बढ़ाने वाला प्याज करीब माहभर से दूनवासियों की रसोई का बजट बिगाड़ रहा है। यहां बिना काटे ही प्याज लोगों के ‘आंसू’ निकाल रहा है। एक माह के भीतर प्याज के दाम दोगुने से अधिक पहुंच गए हैं। ऐसे में अधिकांश लोग प्याज से दूरी बनाने लगे हैं। इस दौरान दून में प्याज की खपत में करीब 40 फीसद की कमी दर्ज की गई है। नवंबर माह की शुरुआत में जहां दून में करीब 750 कुंतल प्याज की खपत रोजाना होती थी, दिसंबर माह में वह 300 कुंतल पहुंच गई है। जबकि दाम की बात करें तो एक माह पहले जो दाम 50 रुपये प्रति किलो थे, वह अब 100 रुपये पार कर चुके हैं।

आम आदमी की रोजमर्रा की जरूरतों में शुमार प्याज अब दाम में वृद्धि के कारण पहुंच से बाहर हो गया है। 100 रुपये प्रति किलो या इससे अधिक की दर से बिक रहा प्याज लोगों के दैनिक बजट में फिट नहीं बैठ रहा है। ऐसे में लोगों को मजबूरन प्याज से दूरी बनानी पड़ रही है। व्यापारियों को भी प्याज की बिक्री कम होने से चिंता सताने लगी है। कई व्यापारियों ने निराशा जताते हुए प्याज को घाटे का सौदा बताया। थोक व्यापारी भी कम मात्रा में प्याज मंगवा रहे हैं, जिसके चलते निरंजनपुर मंडी में प्याज की आवक लगातार घट रही है। हालांकि मंडी के अधिकारी व्यापारियों को अधिक मात्रा में प्याज मंगवाने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं। उम्मीद है आने वाले दिनों में प्याज के दामों में नरमी आएगी और दूनवासी खाने में भरपूर प्याज का प्रयोग करेंगे।

पिछले दस दिन की स्थिति

(मात्रा कुंतल में, जबकि रुपये प्रति किलो फुटकर में है।)

इंदौर व अलवर से हो रही आपूर्ति

मंडी अधिकारियों के अनुसार नासिक से प्याज न आने के कारण दून की मंडी पूरी तरह से इंदौर और अलवर पर निर्भर है। हालांकि, दिल्ली से अफगानिस्तान व तुर्की का प्याज भी मंगवाया जा रहा है, लेकिन इसकी डिमांड बेहद कम है। ऐसे में इंदौर का प्याज ही अधिक बिक रहा है।

अजय डबराल (मंडी निरीक्षक) का कहना है कि दून में प्याज की खपत में गिरावट आ रही है। उसी के अनुरूप व्यापारी प्याज आयात की डिमांड देते हैं। व्यापारियों का कहना है कि दाम अधिक होने के कारण प्याज की बिक्री बेहद कम हो गई है, जिससे उन्हें नुकसान हो रहा है। नासिक का प्याज आने के बाद दाम घटेंगे तो खपत भी स्वत: ही बढ़ जाएगी।

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