स्पिक मैके ने आयोजित करी डॉ. जयतीर्थ मेवुंडी द्वारा हिंदुस्तानी शास्त्रीय गायन प्रस्तुति

देहरादून: स्पिक मैके के तत्वावधान में आज राजकीय बालिका इंटर कॉलेज, देहरादून एवं देव संस्कृति विश्वविद्यालय, हरिद्वार में प्रसिद्ध हिंदुस्तानी शास्त्रीय गायक डॉ. जयतीर्थ मेवुंडी की गायन प्रस्तुति आयोजित की गई। इस कार्यक्रम को एसआरएफ फाउंडेशन के सहयोग से आयोजित किया गया।

डॉ. मेवुंडी के साथ तबले पर हितेन्द्र दीक्षित और हारमोनियम पर अदिति गराडे ने संगत की। उन्होंने राग यमन, राग पुरिया धनाश्री और बिलासखानी तोड़ी जैसे रागों की सुंदर प्रस्तुतियाँ दीं। साथ ही, राग मिश्र पीलू में प्रस्तुत एक भक्तिमय भजन ने दर्शकों को भावविभोर कर दिया।

डॉ. जयतीर्थ मेवुंडी किराना घराने के प्रमुख गायकों में से एक हैं और आज के समय में हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत के अग्रणी कलाकारों में गिने जाते हैं। वे कर्नाटक के हुबली-धारवाड़ क्षेत्र से आते हैं, जो अपने समृद्ध संगीत परंपरा के लिए प्रसिद्ध है। उनका संगीत प्रशिक्षण पं. अर्जुनसा नाकोड़ से शुरू हुआ और बाद में पं. श्रीपति पाडेगर से गहन शिक्षा प्राप्त की, जो भारत रत्न पं. भीमसेन जोशी के प्रमुख शिष्य थे।

डॉ. मेवुंडी ऑल इंडिया रेडियो और दूरदर्शन के ‘ए टॉप’ ग्रेड के कलाकार हैं। वे अपनी आत्मीय शैली के लिए प्रसिद्ध हैं। हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत के साथ-साथ संतवाणी और दासवाणी में भी उनकी प्रस्तुतियाँ बेहद सराहनीय रही हैं। उन्होंने तानसेन समारोह (ग्वालियर), डोवर लेन संगीत समारोह (कोलकाता), हरीवल्लभ संगीत सम्मेलन (जालंधर), और बांग्ला म्यूज़िक फेस्टिवल (ढाका) जैसे प्रतिष्ठित मंचों पर देश-विदेश में प्रस्तुति दी है।

उन्हें कई सम्मानित पुरस्कारों से नवाजा गया है, जिनमें डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम द्वारा प्रदत्त ‘यंग माएस्ट्रो अवार्ड’, भारत रत्न पं. भीमसेन जोशी स्वर भूषण पुरस्कार, और संगीत नाटक अकादमी द्वारा दिया गया ‘भारत रत्न उस्ताद बिस्मिल्लाह खान युवा पुरस्कार’ शामिल हैं।

दर्शकों में मौजूद एक छात्रा ने कहा, “यह एक दिव्य अनुभव था। डॉ. मेवुंडी की आवाज़ में इतनी गहराई और भक्ति थी कि मौजूद सभी दर्शक मंत्रमुग्ध हो उठे। मैं ऐसी प्रस्तुति दोबारा देखना पसंद करूँगी।

अपने इस दौरे के दौरान डॉ. जयतीर्थ मेवुंडी ने दून लाइब्रेरी एंड रिसर्च सेंटर, द दून स्कूल, कैलाशवती वर्मा पब्लिक स्कूल (श्यामपुर) और होपटाउन गर्ल्स स्कूल में भी प्रस्तुतियाँ दीं।

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