मथुरा। मथुरा से हरियाणा और राजस्थान की सीमा लगी हुई है। इसके अलावा आगरा, हाथरस, अलीगढ जिलों की सीमा भी लगती हैं। इसके चलते यह हत्यारों के लिए यह लाशों का अघोषित डंपिंग जोन बन चुका है।
हत्या करने के बाद लाश को गाड़ी में लाने के बाद यहां हाईवे किनारे, रेलवे लाइन के किनारे, हाईवे से लगी झाडिय़ों या नदी में लाश को फेंक करके चले जाते हैं। शिनाख्त नहीं होने पर पुलिस लावारिस में उनका अंतिम संस्कार कर देती है। मरने वाले के साथ ही उसके कातिल का राज भी लगभग हमेशा के लिए दफन हो जाता है।
6 मई को एक ही दिन में अलग-अलग क्षेत्र में चार शव मिले थे। मृतकों को दो महिलाएं थीं। किसी का गला घोंटा गया तो किसी की गर्दन काट दी गई थी। ये कौन थे, कहां के थे, अभी तक कुछ नहीं पता चल पाया है। पुलिस शिनाख्त के प्रयास कर रही है। फरह में हाईवे किनारे दो युवतियों के शव अलग-अलग ट्राली बैग में मिले। जमुनापार में गांव डहरुआ के पास दो किशोरों के शव बोरे में बंद मिले। यमुना एक्सप्रेसवे के नौहझील में बाजना कट के पास मिला युवती का शव। नौहझील के बाजना रोड पर युवक का मिला शव। सदर बाजार के दामोदरपुरा के पीछे जंगल में मिला था महिला का शव। शेरगढ़ के गांव अगरयाला में बंबे में मिला युवक का शव। मांट के गांव पिपरौली में महिला का शव मिला। मांट के गांव नसीटी के पास मांट ब्रांच गंगनहर के पास मिला युवक का शव। मांट के राधारानी खादर में मजार पर लटका मिला था वृद्ध का शव। मांट में दरबै नहर के पास महिला का मिला था शव। ये फेहरिस्त बहुत लम्बी है। वर्ष 2020 के दौरान दर्जनों लाशों को यहां फेंका गया, जिनकी शिनाख्त नहीं हो सकी। उनके कातिल आज भी खुलेआम घूम रहे हैं ।
अज्ञात शवों की शिनाख्त न हो पाने का कारण पुलिस द्वारा गुमशुदगी को गंभीरता से नहीं लेना भी है। अधिकांश मामलों में पुलिस गुमशुदा लोगों के स्वजन को 24 घंटे तक इंतजार करने की कहती है। एक दिन बाद गुमशुदगी दर्ज करने की खानापूर्ति करके पुलिस बरामदगी को गंभीरता से नहीं लेती। इसके चलते यदि किसी को साजिश के तहत गायब करके उसकी हत्या की गई होती है तो उसकी शिनाख्त के लिए ज्यादा समय नहीं मिल पाता। इससे हत्यारे को साक्ष्य नष्ट करने का मौका मिल जाता है।