-पूरे गांव को डाल दिया खतरे में, लगातार कर रहा था सिकंदरा मंडी से अपडाउन
-नेरा गांव को किया सील, डोर टू डोर की जा रही स्क्रीनिंग
मथुरा ,23 अपै्रल (आरएनएस)। बल्देव के गांव नेरा सेहत में मिले कारोना पॉजिटिव के बाद पूरे गांव को सील कर दिया गया है। डोर टू डोर स्क्रीनिंग की जा रही है। इस बीच सिस्टम की बडी लापरवाही समाने आई है। आगरा में सब्जी विक्रता के कोरोना पॉजिटिव पाये जाने के बाद नेरा सेहत के दो पंकज और सुरेश के सैंपल लिये गये थे। पंकज का सैंपल नेगेटिव मिला, जबकि सुरेश कोरोना पॉजिटिव पाया गया। सुरेश सिकंदारा मंडी में उसी सब्जी विक्रेता के यहां पल्लेदारी करता था जो कोरोना पॉजिटिव निकला था। इसके बाद रविवार को दोनों लोगों के सैंपल लिये गये। संदिग्ध के तौर पर सैंपल लिये जाने के बाद भी दोनों को क्वारंटाइन नहीं किया गया। इस बीच सुरेश सामान्य व्यक्ति के तौर पर पूरे गांव में घूमता रहा और लोगों के संपर्क में आता रहा। जब सुरेश का सैंपल पॉजिटिव मिला तो गांव में हडकंप मच गया। अब वह लोग भी दहशत में जो सुरेश और सुरेश के संपर्क में आये लोगों के संपर्क में आये थे। पूरा गांव परेशान हैं।
दूसरी और स्वास्थ्य विभाग ने अपनी गैंद पुलिस के पाले में डाल दी है। बल्देव सीएचसी प्रभारी विजेन्द्र सिंह ने बताया कि जिस समय दोनों के सैंपल लिये गये दोनों के अंदर कोई सिमटम्स नहीं दिखे थे। इस आधार पर दोनों को होम क्वारंटाइन किया गया। सूचना मिलते ही स्वास्थ्य विभाग की टीम मौके बिना समय गंवाये मौके पर पहुंची थी। दोनों लोगों को होम क्वारंटाइन किये जाने की सूचना पुलिस को भी दे दी गई थी। उन्होंने कहाकि कोरोना पॉजिटिव पाये गये व्यक्ति ने लापरवाही की और वह घर के अंदर नहीं रहा, ग्रामीणों का कहना है कि वह इस बीच दूसरे लोगों के संपर्क में आता रहा।
स्वास्थ्य विभाग की बडी चूक यह रही कि सैंपल सेहत नेरा, सुरेश उपर्फ नहना, रविवार को सैंपल लिया था। गांव आकर स्वास्थ्य विभाग की टीम ने। कोरोन टाइन नहीं किया गया, सैंपल लेकर जांच के लिए भेज दिया। रात में ही सुरेश की पत्नी और दो बच्चों को स्वास्थ्य विभाग की टीम क्वारंटाइन के लिए ले गयी। ग्रामीणों का कहना है कि पारस हास्पीटल का मामला सामने आने के बाद ही सतर्कता बरती बढा देने थी। नेरा और सेहत पर दो यमुना पुल एक किलोमीटर के क्षेत्र में हैं जो दूसरी और आगरा के सिकंदरा क्षेत्र में खुलते हैं। अभी भी लोग यहां आ जा रहे हैं, इन्हें रोका नहीं गया है। गांव से पहले एक बैरीकेडिंग लगा दी थी। गांव से पुल तक पहुंचने के कई रास्ते हैं, पुल पर ही नाकाबंदी करनी थी। लोग गांव से खेतों में होकर निकल कर पहुंच जाते हैं।