लखनऊ । के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि राज्य सरकार के प्रतिबद्ध प्रयासों से विगत 04 वर्षों में बाढ़ की आपदा से होने वाली जन-धन हानि को रोकने में सफलता मिली है। प्रदेश की जनता को बाढ़ की विभीषिका से बचाने के लिए समय से स्थायी समिति की बैठकें सम्पन्न कराने के साथ ही बाढ़ नियंत्रण की कार्ययोजना बनाकर लागू की गयी। राज्य में पहली बार ड्रेजिंग जैसे नये प्रयोगों, परियोजनाओं के क्रियान्वयन में विभागीय स्तर पर पूरी निष्ठा और समर्पण तथा स्थानीय स्तर पर जनप्रतिनिधियों के रुचि लेने से बाढ़ से बचाव में सफलता मिली है।
मुख्यमंत्री आज यहां अपने सरकारी आवास पर वर्चुअल माध्यम से 146 बाढ़ नियंत्रण परियोजनाओं के लोकार्पण तथा 170 नयी बाढ़ नियंत्रण परियोजनाओं के शिलान्यास के उपरान्त अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। उन्होंने कहा कि ड्रेजिंग के माध्यम से नदियों को चैनलाइज किये जाने के अच्छे परिणाम प्राप्त हुए हैं। अधिकतर जनप्रतिनिधियों ने भी इन प्रयोगों की सराहना की है और अपने क्षेत्र में बाढ़ नियंत्रण के लिए लागू किये जाने का आग्रह भी किया है।
मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर विभिन्न जनपदों में लोकार्पित व शिलान्यास की गयी बाढ़ नियंत्रण परियोजनाओं के क्षेत्रों के निवासियों एवं जनप्रतिनिधियों से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से संवाद किया। परियोजनाओं के लोकार्पण एवं शिलान्यास के लिए उन्हें बधाई और शुभकामनाएं देते हुए उन्होंने कहा कि परियोजनाओं के निर्माण में आमजन को भी मानक के अनुरूप कार्यों की गुणवत्ता के सम्बन्ध में देखरेख कर सकारात्मक सहयोग करना चाहिए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में कुल 40 जनपद बाढ़ की दृष्टि से संवेदनशील हैं। इनमें से 24 जनपद अतिसंवेदनशील एवं 16 जनपद संवेदनशील हैं। उन्होंने कहा कि बाढ़ नियंत्रण के लिए समय से किये गये उपायों से जन-धन हानि रोकी जा सकती है। वर्तमान सरकार से पूर्व बाढ़ नियंत्रण परियोजनाएं बाढ़ के साथ ही प्रारम्भ होती थीं और बाढ़ खत्म होते ही उनका क्रियान्वयन रुक जाता था। वर्तमान सरकार द्वारा बाढ़ नियंत्रण परियोजनाओं को जनवरी माह में प्रारम्भ कर 15 मई तक कार्य को पूर्ण किया जा रहा है। इससे राज्य में बाढ़ नियंत्रण में सफलता मिली तथा बाढ़ की आपदा का प्रभाव कम हुआ। आज जिन परियोजनाओं की आधारशिला रखी गई है, उन्हें समय से पूरा किया जाए। परियोजनाओं को समयबद्ध ढंग से पूर्ण करने से प्रभावी बाढ़ नियंत्रण में सहायता मिलती है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि बाढ़ की आपदा का स्थायी समाधान किया जाना चाहिए। इसके लिए जनप्रतिनिधिगण, अधिकारीगण, विभाग और आम जनता को मिलकर समन्वित प्रयास करने की जरूरत है। बाढ़ नियंत्रण हेतु विभाग द्वारा तकनीक के उपयोग की सराहना करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि तकनीक के प्रयोग का परिणाम सुखद रहा है। बाढ़ के स्थायी समाधान में तकनीक की महत्वपूर्ण भूमिका हो सकती है।
मुख्यमंत्री ने जनप्रतिनिधिगण से आग्रह किया वह जनपद में संचालित परियोजनाओं की समयबद्धता और गुणवत्ता के लिए अधिकारियों के साथ भ्रमण करें। उन्होंने कहा कि मनरेगा आदि योजनाओं में पर्याप्त धनराशि उपलब्ध है। जिलाधिकारी बरसात से पूर्व बाढ़ नियंत्रण कार्यों की कार्ययोजना बनाकर कन्वर्जेंस के माध्यम से लागू कराएं। उन्होंने कहा कि ड्रेजिंग तथा नहरों की सफाई के समय निकलने वाली सिल्ट और बालू की नीलामी की जाए। इससे विभाग को अतिरिक्त धनराशि प्राप्त होगी तथा स्थानीय स्तर पर मिनरल फण्ड में भी धनराशि जमा होगी।
जल शक्ति मंत्री डॉ0 महेन्द्र सिंह ने कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री जी की प्रेरणा से बाढ़ नियंत्रण कार्यों को प्रभावी ढंग से संचालित किया गया है। सभी क्रियान्वित परियोजनाएं धरातल पर दिखायी दे रही हैं। इसका लाभ जनता को मिल रहा है। बाढ़ नियंत्रण परियोजनाओं से बड़े पैमाने पर खेती और लोगों की बाढ़ के प्रभाव से बचाया गया है। परियोजनाओं के क्रियान्वयन में 91 स्थानों पर वीडियो कैमरे लगाकर परियोजना की प्रगति पर नजर रखी गयी है। वर्ष 2017-18 में 74, वर्ष 2019-20 में 151 तथा वर्ष 2020-21 में माह दिसम्बर तक 158 बाढ़ नियंत्रण परियोजनाएं पूर्ण की गयी हैं।
बाढ़ नियंत्रण राज्य मंत्री विजय कश्यप ने कार्यक्रम के अन्त में अतिथियों के प्रति धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री के नेतृत्व में प्रदेश का तेजी से विकास हो रहा है। उनकी प्रेरणा और मार्गदर्शन में सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग द्वारा उल्लेखनीय कार्य किया गया है। परियोजनाओं को शीघ्रता, समयबद्धता, पारदर्शिता एवं गुणवतापरक ढंग से पूर्ण किया गया है।
इस अवसर पर अपर मुख्य सचिव सिंचाई टी0 वेंकटेश, सचिव सिंचाई अनिल गर्ग सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।