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भारत में हैं स्थिरता के संकेत: डॉ. हर्षवर्धन

नईदिल्ली। 19 देशों की सरकारों और यूरोपीय संघ (ईयू) के अंतरराष्ट्रीय फोरम जी20 देशों के स्वास्थ्य मंत्रियों की वीडियो कॉन्फ्रेंस के दौरान डॉ. हर्षवर्धन ने जोर देकर कहा कि कोविड-19 रोग से निपटने के लिए आपसी सहयोग और परस्पर सम्मान के साथ उपयोगी साझेदारी बनाएं। जी20 के 19 सदस्य देशों में अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, जर्मनी, फ्रांस, इंडोनेशिया, इटली, जापान, मेक्सिको, रूसी संघ, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, दक्षिण कोरिया, तुर्की, यूके, अमेरिका और भारत शामिल हैं।
बैठक के दौरान डॉ. हर्षवर्धन ने कहा, मैं कोविड-19 के खिलाफ हमारी लड़ाई में अपने देशों में हालात को संभालने और उसका प्रबंधन करने के लिए आप सभी को बधाई देता हूं। उन्होंने कहा, दुनिया के सामने मौजूद वैश्विक स्वास्थ्य संकट ने एक ऐसा अवसर प्रदान किया है जिसमें हमें गहराई से सोचने की जरूरत है कि हम कैसे एक दूसरे से जुड़ सकते हैं। साथ ही हमें सामूहिक ताकत और बुद्धिमत्ता के साथ काम पूरा करने का मौका भी मिला है। पूर्व के सफल सामूहिक वैश्विक प्रयासों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, अतीत में भी, वैश्विक समुदाय के तौर पर हमने अपने लोगों के स्वास्थ्य खतरों का सामना किया है और एक दूसरे के साथ उद्देश्य, सहयोग और साझेदारी की सामूहिक भावना से इसे काबू में किया। मैं कोरोनावायरस (कोविड-19) से निपटने के लिए उसी तरह के सहयोग और परस्पर सम्मान एवं उपयोगी साझेदारी की आशा करता हूं। वैसे कुछ देशों खासतौर से जापान, सिंगापुर, दक्षिण कोरिया ने बहुत अच्छा किया है जबकि अन्य कोविड-19 के साथ संघर्ष कर रहे हैं। इसके प्रभाव का स्तर अभूतपूर्व है और इसलिए सामान्य स्थिति में पहुंचने के लिए देशों के बीच सहयोग का आह्वान किया गया है।
देश में कोविड के वर्तमान परिदृश्य के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा, आज, 19 अप्रैल के हिसाब से देखें तो हमने 25 दिनों का लॉकडाउन पूरा कर लिया है, जो 3 मई तक आगे भी बढ़ गया है। इसके नतीजों का पता ऐसे चलता है कि केस दोगुना होने की दर, जो 17 मार्च को 3.4 दिन थी, 25 मार्च को 4.4 दिन हुई और इस समय करीब 7.2 दिन हो गई है।
कोविड-19 का मुकाबला करने में भारत के दृष्टिकोण को रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा, इस समय हमारे अप्रोच की विशिष्टता पांच बिंदुओं में सिमटी है: (1) लगातार हालात को लेकर जागरूकता बनाए रखना (2) एहतियाती और सक्रिय दृष्टिकोण (3) लगातार बदलते हालात के हिसाब से क्रमिक प्रतिक्रिया (4) सभी स्तरों पर अंतर-क्षेत्रीय समन्वय और आखिर में लेकिन सबसे महत्वपूर्ण (5) इस बीमारी से निपटने के लिए एक जन आंदोलन खड़ा करना।
रोग को लेकर भारत की रणनीतिक प्रतिक्रिया के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा, विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा प्रकोप को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जन स्वास्थ्य आपातकाल घोषित किए जाने से काफी पहले ही भारत ने अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य अधिनियम (आईएचआर) के तहत मुख्य क्षमताओं को लक्षित करने वाले फैसले लागू करने शुरू कर दिए थे। हमारे प्रयास समय से पहले और सक्रिय रहे हैं। हमने भारत में 30 जनवरी 2020 को पहला मामला सामने आने से 12 दिन पहले ही कोविड प्रभावित देशों से उड़ानों की निगरानी शुरू कर दी थी। 22 मार्च 2020 तक 400 से भी कम केस थे पर हमने भारत से जाने और आने वाली सभी अंतरराष्ट्रीय उड़ानों पर प्रतिबंध लगा दिया था और 25 मार्च 2020 तक हमने देशव्यापी लॉकडाउन लागू कर दिया था।
बीमारी से निपटने में भारत के सामर्थ्य को लेकर उन्होंने कहा, अतीत में भी भारत महामारी और अंतरराष्ट्रीय चिंता के जन स्वास्थ्य आपात स्थितियों का सफलतापूर्वक सामना कर चुका है। उन्होंने यह भी कहा, हमारे देश में जन स्वास्थ्य आपात स्थितियों के प्रबंधन के लिए अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य अधिनियम में अपेक्षित राष्ट्रीय कोर क्षमताएं हैं। कोविड की प्रतिक्रिया में महामारी की ओर उन्मुख बीमारियों से संबंधित राष्ट्रव्यापी निगरानी प्रणाली के लिए मौजूद एकीकृत रोग निगरानी कार्यक्रम (आईडीएसपी) सक्रिय हो गया और डिजिटल इनपुट्स के साथ इसे मजबूत किया जा रहा है।
आगे की रणनीति को स्पष्ट करते हुए उन्होंने कहा, भारत ने कोविड मरीजों के प्रबंधन के लिए विशेष बुनियादी ढांचे के निर्माण पर ध्यान देने का जागरूक फैसला लिया है ताकि कोविड मरीजों का एक दूसरे से मिलना-जुलना न हो। पॉजिटिव पाए गए सभी लोगों का तीन प्रकार के समर्पित कोविड प्रबंधन केंद्रों पर इलाज किया जाता है: हल्के रोगसूचक मामलों के लिए कोविड केयर सेंटर्स (सीसीसी), मध्यम केस के लिए कोविड हेल्थ सेंटर्स (ष्ट॥ष्ट) और गंभीर मामलों के लिए कोविड अस्पताल (सीएच)। इन समर्पित कोविड सुविधाओं को रेफरल नेटवर्क आर्किटेक्चर के डिजाइन में एक दूसरे से मैप किया गया है जिससे लक्षण बढऩे पर मरीजों का आसानी से मूवमेंट हो सके और लक्षणों के अनुरूप समय पर उचित चिकित्सकीय देखभाल की जा सके।
विशिष्ट रोग के निवारण और रोकथाम के उपायों के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा, कोई विशिष्ट दवा या वैक्सीन न होने की स्थिति में भारत विभिन्न गैर-औषधीय इलाज पर निर्भर रहा है। विशेष रूप से हाथों की स्वच्छता और श्वसन संबंधी शिष्टता जैसे सरल जन स्वास्थ्य फैसलों में जनता के लिए सामाजिक दूरी और रिस्क कम्युनिकेशन जैसे उपायों पर फोकस किया गया। कोविड-19 के लिए वैक्सीन के विकास के विषय पर उन्होंने कहा, वैसे तो बीमारी से निपटने के पारंपरिक तरीके और साधन इस्तेमाल किए जा रहे हैं, हमारे वैज्ञानिक और डाक्टर हमारी पहुंच को बढ़ाने के लिए नए और उन्नत उपाय भी खोज रहे हैं। अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी का उपयोग न केवल इन्वेंट्री और मरीज के स्तर की जानकारी के लिए किया जा रहा है बल्कि सीधे नागरिकों के लिए भूस्थानिक जोखिम और उत्तम प्रैक्टिस का पालन करने के लिए मोबाइल एप्लीकेशंस भी इस्तेमाल किए जा रहे हैं।
पारंपरिक भारतीय सिद्धांत वसुधैव कुटुम्बकम- पूरी दुनिया एक परिवार है, पर जोर देते हुए उन्होंने कहा, इस महामारी की शुरुआत के बाद से भारत ने नेतृत्व करते हुए पड़ोसी देशों की कई तरीके से सहायता की है। वुहान, चीन और कोविड प्रभावित डायमंड प्रिंसेस क्रूज शिप से लोगों को निकालने के दौरान हमने मालदीव, बांग्लादेश, म्यांमार, दक्षिण अफ्रीका, अमेरिका, मेडागास्कर, श्रीलंका, नेपाल और पेरू के विदेशी नागरिकों को भी निकाला। उन्होंने कहा कि इसके अलावा फार्मास्युटिकल्स में एक ग्लोबल लीडर के रूप में भारत ने हाइड्रोक्सीक्लोरोच्ीन जैसी दवाओं की आपूर्ति दुनियाभर के देशों को उपलब्ध कराना सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाए। प्रभावी दवाओं और वैक्सीन का जल्द विकास और जल्द से जल्द सभी के लिए उपलब्ध होना सुनिश्चित करने के लिए भारत वैश्विक साझेदारों के साथ मिलकर काम कर रहा है।
आखिर में धन्यवाद देते हुए डॉ. हर्षवर्धन ने वैश्विक स्वास्थ्य एजेंडे को लेकर भारत के समर्थन को दोहराया और कहा, भारत कोविड-19 से राहत के लिए एकीकृत प्रयासों को आगे बढ़ाने के लिए जी20 के सदस्य देशों के साथ काम करना चाहता है।

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