नई दिल्ली । पिछले तीन ओलिंपिक्स से भारत को रेसलिंग में मेडल मिल रहा है और एक बार फिर इस खेल से भारत को उम्मीदें हैं। तोक्यो ओलिंपिक्स के लिए रवि दहिया, बजरंग पूनिया, दीपक पूनिया और विनेश फोगाट ने च्ॉलिफाइ कर लिया है। कई और रेसलर्स हैं जिनसे उम्मीद है कि वे च्ॉलिफाइ कर लेंगे। हालांकि,कोरोना के कहर ने भारतीय पहलवानों को अपनी योजनाएं बदलने को मजबूर कर दिया है। जो च्ॉलिफाइ कर चुके हैं वो ट्रेनिंग के लिए विदेश नहीं जा पा रहे और जो च्ॉलिफाइंग टूर्नमेंट के लिए टीम में चुने गए हैं उनकी प्रतियोगिताएं फिलहाल रोक दी गई हैं। बावजूद इसके भारतीय पहलवानों ने उम्मीद का दामन नहीं छोड़ा है। उनका मिशन तोक्यो जारी है। हां, वह प्रैक्टिस में सावधानी बरत रहे हैं।
महिला वर्ग में अभी तक एकमात्र कोटा विनेश फोगाट ने हासिल किया है। विनेश से रियो ओलंपिक्स में भी मेडल की उम्मीद थी लेकिन मुकाबले के दौरान लगी गंभीर चोट से उनका सपना साकार नहीं हो सका। पिछली कुछ इंटरनैशनल प्रतियोगिताओं में विनेश ने जिस तरह का प्रदर्शन किया है, उसे देखते हुए उनसे इस बार उम्मीदें बढ़ गई हैं। कोरोना के दौर में विनेश की तैयारियों पर क्या असर पड़ा है? इस पर इस रेसलर ने कहा, च्यह ओलिंपिक्स वर्ष है। भला कोई खिलाड़ी कोताही बरतने की सोच भी कैसे सकता है। अभी ओलिंपिक्स को लेकर काफी चर्चाएं हो रही हैं कि यह होगा कि नहीं होगा। लेकिन, मैं इस बारे में कुछ भी नहीं सोचती। मैंने प्रैक्टिस में किसी तरह की ढीलाई नहीं की है। हां, जितना हो सकता है एहतियात बरत रही हूं। हमारा खेल बॉडी कॉन्टैक्ट का है। कहा जा रहा है कि हाथ मिलाने से परहेज करें। लोगों से एक मीटर की दूरी बनाए रखें। मास्क लगाए रहें। प्रैक्टिस के दौरान हम इन बातों पर अमल नहीं कर सकते। फिर भी, जितना संभव हो पाता है हाथ धोती हूं और कोशिश करती हूं कि बाहरी लोगों से कम मिलूं।
पुरुष 57 किग्रा वर्ग में रवि दहिया वर्ल्ड चैंपियनशिप से ओलिंपिक्स में जगह बना चुके हैं। रवि भी मेडल के प्रबल दावेदारों में हैं। रवि से जब कोरोना के कहर के बीच उनकी तैयारियों के बारे में पूछा गया तो उनका जवाब था, च्हमारे लिए सबसे अच्छी बात यह है कि हम उन्हीं लोगों के साथ प्रैक्टिस कर रहे हैं जिनके साथ हमेशा रहते हैं। उन्हीं के साथ हमारा उठना-बैठना और खाना-पीना भी लगभग होता है। इसलिए कोरोना के चलते प्रैक्टिस प्रभावित होने का तो मतलब ही नहीं बनता। हम जिस तरह की प्रैक्टिस पहले कर रहे थे, वैसी ही अभी भी कर रहे हैं। कैंप में डॉक्टर हैं जो समय-समय पर हमें दिशा-निर्देश देते रहते हैं। अभी हम बाहरी लोगों से मिलने में पूरी सावधानी बरत रहे हैं। बल्कि कोशिश रहती है कि ना ही मिलूं।रेसलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया ने ओलिंपिक्स च्ॉलिफाइंग टूर्नमेंट के लिए भारतीय टीम चुन रखी है। जिस वर्ग में कोटा नहीं मिला है उनमें एशियाई ओलिंपिक्स च्ॉलिफाइंग से मिलने की उम्मीद है। लेकिन यह टूर्नमेंट अब तक दो बार स्थगित हो चुका है। च्ॉलिफाइंग टूर्नमेंट जब भी होगा, उसमें सबसे ज्यादा निगाहें पुरुष वर्ग में 74 किग्रा कैटिगरी में जितेंदर पर और महिला वर्ग में 62 किग्रा कैटिगरी में सोनम मलिक पर होंगी। सोनम ने पिछली बार की ओलिंपिक्स मेडलिस्ट साक्षी मलिक को एक महीने के भीतर दो बार हराकर भारतीय टीम में जगह बनाई है तो जितेंदर के वर्ग में दो बार के ओलिंपिक्स मेडलिस्ट सुशील कुमार भी ताल ठोक रहे हैं। फेडरेशन की परंपराओं के मुताबिक अगर दोनों च्ॉलिफाइंग टूर्नमेंट में कोटा हासिल कर लेते हैं तो फिर सुशील और साक्षी के लिए रास्ते बंद हो जाएंगे।