लाहौर । भारत की आजादी में निर्णायक भूमिका निभाने वाले शहीद-ए-आजम भगत सिंह के इतिहास को अब पाकिस्तान के लोग भी समझ पाएंगे। आजादी की क्रांति के प्रणेता रहे महान क्रांतिकारी भगत सिंह के विरासत को संजो कर रखने के लिए पाकिस्तान के फैसलाबाद में उनके पुश्तैनी मकान को स्मारक बनाने का फैसला लिया गया है। बता दें कि फैसलाबाद को आजादी के पहले लायलपुर के नाम से जाना जाता था और शहीद-ए-आजम भगत सिंह का जन्म यहीं पर हुआ था।
फैसलाबाद के बंगा गाव में भगत सिंह के परिवार का घर था। देश को आजादी मिलने के बाद भगत सिंह का पूरा परिवार भारत आ गया था जिसके बाद उनके पुश्तैनी मकान पर वहां के स्थानीय वकील का कब्जा हो गया था। अब भगत सिंह मेमोरियल फाउंडेशन उस जगह को खरीदने के लिए आगे आ गया है और उस पर कब्जा रखने वाले वकील भी उसे देने को राजी हो गए हैं।
इस मामले में फाउंडेशन के चेयरमैन रशीद कुरैशी ने बताया कि शहीद-ए-आजम भगत सिंह का घर अब तीन हिस्सों में बंट चुका है। इसका एक हिस्सा वो है जहां भगत सिंह पैदा हुए थे। वह बंगा गांव के नंबरदार जमात अली के पास है और वो भी उसे देने को तैयार हो गए हैं। अली ने कहा कि ऐसा करना उनके लिए गर्व की बात है। जमीन को लेकर फाउंडेशन के चेयरमैन रशीद और अली के बीच बैठक हो चुकी है। भगत सिंह के जन्म वाले स्थान को ही स्मारक बनाया जाएगा और सबसे खासबात ये है कि इसमें अमृतसर के ऐतिहासिक जलियांवाला बाग से मिट्टी लाकर डाली जाएगी। बता दें कि कुरैशी की कोशिशों के बाद ही लाहौर में शहीद सिंह की फांसी का मामला एक बार फिर उठा था। उनके शहीद स्थल सादमान चौक का नाम बदलकर भगत सिंह के नाम पर रखा गया।