वाशिंगटन । फेसबुक द्वारा पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का अकाउंट निलंबित रखने के फैसले के बाद संसद में 1996 कम्युनिकेशंस डिसेंसी कानून में संशोधन को लेकर बहस तेज हो गई। इस कानून के तहत डिजीटल प्लेटफॉर्म कंपनियों को उनके पास उपलब्ध सामग्री को रखने और उन्हें आपत्तिजनक मानते हुए हटाने का कानूनी संरक्षण प्राप्त है।
इस कानून के अनुच्छेद 230 में फेसबुक, ट्विटर और गूगल जैसी कंपनियों को काफी शक्तियां दी गई हैं। यह कानून तब लागू हुआ था, जब सोशल मीडिया की यह शक्तिशाली कंपनियां बनी भी नहीं थीं। सीनेट की वाणिज्य समिति में वरिष्ठ रिपब्लिकन सांसद रोजर विकर ने कहा, ‘लंबे वक्त से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म उनकी राय में आपत्तिजनक माने वाले वाली सामग्री को हटाने के लिए अनुच्छेद 230 की आड़ लेते रहे हैं। इस पर ट्रंप और राष्ट्रपति जो बाइडेन ने सहमति जताई थी।
ट्रंप ने राष्ट्रपति रहने के दौरान अनुच्छेद 230 को रद्द करने की मांग करते हुए इसे ‘राष्ट्रीय सुरक्षा और चुनावी अखंडता के लिए गंभीर खतरा बताया था। बाइडेन ने चुनाव प्रचार अभियान के दौरान कहा था कि इसे फौरन रद्द करना चाहिए। हालांकि राष्ट्रपति बनने के बाद उन्होंने इस मुद्दे पर कुछ नहीं कहा। ट्विटर और गूगल के प्रवक्ता ने अनुच्छेद 230 पर विधायी कार्रवाई के आयाम पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। फेसबुक ने अभी इस पर टिप्पणी नहीं की है।