एकादशी और प्रदोष व्रत पड़ता हैं, जिस दिन सभी विधि-विधान से पूजा-पाठ करने से सभी कष्टों का अंत होता है। प्रदोष व्रत के दिन सभी भगवान भोलेनाथ की पूजा-अर्चना करते हैं, जिसका शुभ फल प्राप्त होता है। बता दें, 21 मार्च यानि कि आज के दिन शनि प्रदोष है, शनिवार के दिन प्रदोष व्रत होने को शनि प्रदोष के नाम से जाना जाता है।
बता दें, 21 मार्च को शनि प्रदोष के अवसर पर शनि महाराज की आराधना कर उनकी कृपा प्राप्त की जा सकती है। शनि दोष के उपाय किए जा सकते हैं और शनि महाराज से संबंधित पीड़ा का क्षमण किया जा सकता है। शनि ग्रह के दोष, साढ़ेसाती, शनि की ढैया से संबंधिक कार्य इस दिन किए जा सकते हैं।
– संध्या के समय को प्रदोष काल कहा जाता है, इसलिए शनि प्रदोष के दिन प्रदोष काल में शिव आराधना करने से शिव कृपा प्राप्त होती है। शनि पूजा भी शाम के समय की जाती है इसलिए इस दिन शाम के समय शनि पूजा का विशेष महत्व है।
– शनि संबंधित दान किया जा सकता है और शनि संबंधित उपाय किए जा सकते हैं। इस दिन शाम के समय पीपल के पेड़ के नीचे सरसो के तेल का दीपक लगाना चाहिए, शनि महाराज के मंत्रों का जाप करना चाहिए और शनि चालीसा, शनैश्चरस्तवराज: शिव चालीसा का पाठ करना चाहिए।
– शिव पूजा में शिवलिंग पर बिल्वपत्र, सफेद फूल, भांग, धतूरा, रोली, अक्षत, मेंहदी आदी चढ़ाएं। सफेद मिठाई, फल, पंचमेवा, पंचामृत आदी का भोग लगाएं। इन उपायों से प्रदोष तिथि को भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है।