हरिद्वार। उत्तराखंड के वरिष्ठ सामाजिक कर्मचारियों एवं भारतीय चिकित्सा परिषद के निर्वाचित बोर्ड सदस्य डा. महेंद्र राणा ने कहा कि प्रदेश में कोरोना महामारी से निपटने की व्यवस्थाओं में लगे आउटसोर्स स्वास्थ्य कर्मचारियों के वेतन मानदेय की कटौती के नाम पर बहुत बड़ा खेल चल रहा है।
इसी कड़ी में एक मामले का खुलासा करते हुए उन्होंने बताया कि कोरोना के नाम पर स्वास्थ्य विभाग में सेवाएं दे रहे आउटसोर्सिंग कर्मचारियों के मानदेय पर डाका डाला जा रहा है और निश्चित ही यह सब नेताओं-अधिकारियों की मिलीभगत से हो रहा है।
दरअसल, कोरोना महामारी से निपटने के लिए इसी वर्ष अप्रैल माह में स्वास्थ्य विभाग ने विभिन्न पदों पर मेडिकल ऑफिसर , लैब टेक्नीशियन, एक्स-रे टेक्नीशियन, स्टॉफ नर्स, फार्मासिस्ट, वार्ड बॉय की नियुक्ति की थी , पूरे प्रदेश में सैकड़ों की संख्या में डिप्लोमा-डिग्रीधारक युवाओं को निर्धारित मानदेय पर नौकरी पर रखा गया।
गढ़वाल में यह काम जेड सिक्योरिटी प्रा0लि0 नाम की किसी आउटसोर्स कंपनी को दिया गया।
इस कंपनी का अनुबंध स्वास्थ्य विभाग से है। आउटसोर्स कंपनी का विभिन्न पदों पर सेवाएं दे रहे कर्मचारियों के साथ सिर्फ तीन माह का कॉन्ट्रैक्ट हुआ है।शुरुआत में जब नियुक्तियां दी गई, उस समय पदों के सापेक्ष मानदेय भी निर्धारित किया गया था। यह मानदेय एनएचएम (नेशनल हेल्थ मिशन) के नोम्स के आधार पर तय किया गया।