हथिया नक्षत्र गरज तरज के साथ बरसा ,फसलों को पहुंचा नुकसान

हथिया नक्षत्र गरज तरज के साथ बरसा ,फसलों को पहुंचा नुकसान

हथिया नक्षत्र गरज तरज के साथ बरसा ,फसलों को पहुंचा नुकसान

अयोध्या । वर्षा ऋतु के उत्तरार्ध में हथिया नक्षत्र के आगाज के साथ गरज तरज के मध्य रुक रुक कर हुई बरसात में जहां मौसम को खुशनुमा बना दिया वहीं धान की फसल को काफी नुकसान पहुंचा है! प्राचीन मान्यता है कि हथिया नक्षत्र के लगने से काश फूल नहीं लगते हैं और जाड़े का आरंभ हो जाता है! पानी बरसने से लोग सर्दी का एहसास करने लगे हैं! दो दिनों से हो रही बारिश कस सिलसिला मंगलवार को भी जारी रहा वहीं छिटपुट और तेज वर्षा का क्रम पूरे दिन चलता रहा। बरसात के साथ चली तेज हवाएं किसानों के लिए कहर बन रही हैं।

पानी भरे खेतों में तेज हवा के चलते धान की फसलें बड़े पैमाने पर गिर गई हैं, जिन धान में बालियां आ गई है उनके गिरने और फसल के सडऩे की आशंका से किसान परेशान हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि गिरी फसल यदि जड़ से नहीं उखड़ी है तो यह धूप होने के साथ खड़ी हो जाएगी फिर भी दस से बीस फीसद धान का उत्पादन घटने की आशंका है।

सितंबर माह में जहां वर्षा न होने से किसान चिंतित थे। और अचानक तेज वर्षा होने के साथ हवाओं का रुख भी तेज होने से अगेती और अधिक लंबाई की प्रजाति वाले धान के पौधे गिर गए हैं। मिल्कीपुर, अमानीगंज, रुदौली, मवई, सोहावल, मया बाजार, पूरा बाजार, तारुन, बीकापुर, मसौधा आदि विकास खंडों में किसानों की फसल बड़े पैमाने पर गिर गई जिससे वहां के किसानों को भारी नुकसान होने का डर सताने लगा है।

छोटे किसानों को बड़ा नुकसान :

जिले के अधिकतर किसान छोटे रकबे वाले हैं। छोटे रकबे वाले किसानों के धान की फसल लेने वाले इन किसानों की पूरी की पूरी फसल गिरने से उनमें निराशा हुई है। वहीं जुलाई और अगस्त में पर्याप्त बारिश होने से किसानों की फसलें तैयार थी। सितंबर में हल्की बरसात फसल के लिए संजीवनी साबित होती पर हवा के साथ तेज बारिश किसानों के अरमानों पर पानी फेर रही है।

उम्मीद न छोड़े किसान : डॉ. आरपी मौर्य

आचार्य नरेंद्र देव कृषि विश्वविद्यालय के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. आरपी मौर्य ने कहा कि पानी भरे खेत में जिन किसानों ने धान की रोपाई की है, उन्हें नुकसान नहीं होगा। गिरने के बावजूद इनमें बाली आएगी और उत्पादन पर अधिक प्रभाव नहीं पड़ेगा। छिटुआ और ड्रम सीडर से लगाए गए धान की जड़े सतही होती हैं। इस किस्म की गिरी फसल दोबारा नहीं उठ सकेंगी। जिला कृषि अधिकारी ने कहा कि गिरी फसलों का सर्वे कराकर नुकसान का आंकलन कराया जाएगा।

Exit mobile version