नई दिल्ली। निर्भया गैंगरेप और हत्या मामले में दोषी करार मुकेश की याचिका सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी है। मुकेश ने शीर्ष अदालत में अर्जी दाखिल कर वरिष्ठ अधिवक्ता वृंदा ग्रोवर के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी।
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को इस मामले पर सुनवाई की। जस्टिस अरुण मिश्रा की पीठ ने कहा कि मुकेश की याचिका सुनवाई योग्य ही नहीं है। गौरतलब है कि वृंदा ग्रोवर ने शुरुआत में मुकेश के केस की पैरवी की थी। वर्ष 2012 के निर्भया सामूहिक दुष्कर्म और हत्या मामले में मुकेश को फांसी की सजा सुनाई गई है। अधिवक्ता वृंदा ग्रोवर के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में उसकी ओर से दाखिल याचिका को फांसी की सजा पर अमल को रोकने की कोशिश बताई जा रही थी। मुकेश ने वृंदा ग्रोवर पर आपराधिक साजिश रचने और धोखा देने का आरोप लगाया था। मुकेश ने शीर्ष अदालत में याचिका दायर कर सीबीआई जांच की भी मांग की थी। इससे पहले पटियाला हाउस कोर्ट ने निर्भया गैंगरेप और हत्या मामले के सभी चारों दोषियों के खिलाफ नया डेथ वारंट जारी किया है। इसके अनुसार उन्हें 20 मार्च को फांसी दी जानी है।
मामले में आया दिलचस्प मोड़
वहीं, इस मामले में अब नया मोड़ आता दिख रहा है. दरअसल इस निर्भया गैंगरेप के दोषियों ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को एक पत्र लिखा है। इस पत्र में इच्छामृत्यु की अनुमति मांग की गई है. राष्ट्रपति से इच्छामृत्यु मांगने वालों में दोषियों के बुजुर्ग माता-पिता, भाई-बहन के साथ उनके बच्चे भी शामिल हैं।
राष्ट्रपति और निर्भया के परिजनों से की गई है ये मांग
निर्भया के दोषियों के परिजनों ने यह पत्र हिंदी में लिखी है। जिसमें राष्ट्रपति और पीडि़ता के माता-पिता से निवेदन किया गया है कि हमें इच्छामृत्यु की अनुमति दें। इसमें यह भी कहा गया है कि हमें इच्छा मृत्यु देने से भविष्य में होने वाले किसी भी अपराध को रोका जा सकता है। इसमें लिखा है कि अगर हमारे पूरे परिवार को इच्छामृत्यु दी जाती है तो निर्भया जैसी दूसरी घटना को होने से रोका जा सकता है।
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