नईदिल्ली। केंद्रीय जनजातीय मामलों के मंत्री, अर्जुन मुंडा ने कहा है कि सिकल सेल एनीमिया को चुनौती के रूप में लेते हुए इस बीमारी से निजात पाने के लिए सरकार कृतसंकल्प है।
यह बीमारी जनजाति समूहों में व्याप्त है और हर 86 बच्चों में से एक बच्चे में यह बीमारी पायी जाती है।
इसके निराकरण के लिए जन जागरूकता और इलाज आवश्यक है।
मुंडा ने शुक्रवार को विश्व सिकल सेल दिवस के अवसर पर उनके मंत्रालय,फिक्की,अपोलो हॉस्पिटल्स,नोवार्टिस और ग्लोबल अलायन्स ऑफ सिकल सेल डिजीज आर्गेनाईजेशन द्वारा आयोजित नेशनल सिकल सेल कॉन्क्लेव वेबिनार को संबोधित करते हुए उक्त बातें कही।
मुंडा ने कहा कि जनजातीय कार्य मंत्रालय ने इस बीमारी की गंभीरता को समझा है।
इसके सार्थक हल के लिए कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए हैं।
राज्यों को आई सी एम आर के सहयोग से जनजातीय छात्रों की स्क्रीनिंग के लिए राशि उपलब्ध करायी गयी है।
जैव प्रौद्योगिकी विभाग के सहयोग से राज्यों में कार्यशालाएं आयोजित की गयी है।
विभिन्न राज्यों द्वारा दर्शाये गए आंकड़ों के अनुसार एक करोड़ 13 लाख 83 हजार 664 लोगों की स्क्रीनिंग में
लगभग 9 लाख 96 हजार 368(8.75 प्रतिशत)में यह व्याधि परिलक्षित हुए,9लाख 49 हजार 57 लोगों में लक्षण और 47 हजार 311 लोगों में बीमारी पायी गयी।
जैव प्रौद्योगिकी विभाग इस रोग के इलाज का अनुसंधान कर रही है।
बीमारी के प्रसार को नियंत्रित करने के लिए राज्यों को प्रोटोकॉल जारी किये गए हैं।
यह सलाह दी गयी है कि अगली पीढ़ी को बीमारी न हो इसके लिए माता पिता को उचित परामर्श देने का अभियान चलाये
ताकि वे अपने एस सी ए से ग्रसित बच्चों की शादी किसी दूसरे एस सी ए से ग्रसित बच्चों से ना करें।
आज मुंडा ने पिरामल फाउंडेशन द्वारा मंत्रालय के लिए तैयार सिकल सेल सपोर्ट पोर्टल का अनावरण किया।
उन्होंने कहा कि मुझे उम्मीद है कि जनजातियों में जागरूकता लाने की दिशा में यह पोर्टल लाभदायक होगा।
उन्होंने द इकोनॉमिस्टद्वारा तैयार सिकल सेल डिजीज इन इंडिया रिपोर्ट को भी जारी किया।