दमोह । राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द ने दमोह जिले की ग्राम पंचायत सिंग्रामपुर में रविवार को सिंगौरगढ़ किले के संरक्षण कार्य का शिलान्यास कर राज्य स्तरीय जनजातीय सम्मेलन का शुभारंभ किया। राष्ट्रपति कोविन्द ने कहा कि मेड इन इंडिया के साथ-साथ हैण्ड मेड इन इंडिया को भी प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। हस्तशिल्प के क्षेत्र में हमारे आदिवासी भाई-बहन अद्भुत कौशल के धनी हैं। प्रयास यह होना चाहिए कि उनके हस्तशिल्प के उत्पादों को अच्छी कीमत और व्यापक स्तर पर बाजार मिल सके।
राष्ट्रपति कोविन्द ने कहा कि सिंगौर परिक्षेत्र नेशनल ट्रायबल हब के रूप में विकसित किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि सिंगौरगढ़ किले के संरक्षण के लिये किये जा रहे कार्यों से भविष्य में यह क्षेत्र पर्यटन की दृष्टि महत्वपूर्ण होगा। इससे स्थानीय युवाओं को रोजगार भी मिलेगा। उन्होंने चंबल, मालवा, बुन्देलखण्ड, महाकौशल, बघेलखण्ड की विरासतों को सहेजने की दिशा में भी बेहतर कार्य करने की बात कही। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और केन्द्रीय संस्कृति एवं पर्यटन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) प्रहलाद पटेल इस दिशा में प्रयास करें। राष्ट्रपति ने कहा कि निश्चित तौर पर भारतीय पुरातत्व के जिन 6 मण्डलों का नव-निर्माण किया गया है, यह इस दिशा में सार्थक कार्य करेंगे।
राष्ट्रपति कोविन्द ने कहा कि जनजातीय भाई-बहनों से हमें बहुत कुछ सीखने को मिलता है। वे समाज को हमेशा एकता मूलक बनाने की दिशा में कार्य करते हैं। इनमें महिलाओं और पुरुषों के बीच भेद भाव नहीं होता है। इसलिये जनजातीय आबादी में स्त्री और पुरुष अनुपात सामान्य आबादी से बेहतर है। जनजातीय समुदाय में व्यक्ति के स्थान पर समूह को प्राथमिकता दी जाती है। प्रतिस्पर्धा की जगह सहयोग को प्रोत्साहित किया जाता है। उनकी जीवन शैली में प्रकृति को सर्वोच्च सम्मान दिया जाता है। आदिवासी जीवन में सहजता होती है और परिश्रम का सम्मान होता है। राष्ट्रपति ने कहा कि यदि आपको मानवता की जड़ों से जुडऩा है, तो जनजातीय समुदाय के जीवन मूल्यों को अपनी जीवन शैली में लाने का प्रयास करना होगा।
राष्ट्रपति कोविन्द ने कहा कि जनजातीय समुदायों में परम्परागत ज्ञान का अक्षय भण्डार संचित है। उन्होंने मध्यप्रदेश में एक विशेष पिछड़ी जनजाति बैगा का उल्लेख करते हुये कहा कि इस समुदाय के लोग परम्परागत चिकित्सा के विषय में बहुत जानकारी रखते हैं। प्राय: वे असाध्य रोगों का अचूक इलाज भी करते हैं। परम्परागत आयुर्वेदिक औषधियों के प्र-संस्करण एवं निर्माण की योजनाओं में जनजातीय समुदाय की भागीदारी बहुत उपयोगी सिद्ध होगी। इस दिशा में कार्य करने की आवश्यकता है।
राष्ट्रपति कोविन्द ने जनजातियों के ज्ञान को आधुनिक माध्यम से प्रसारित करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि शिक्षण संस्थान जनजातीय ज्ञान एवं शिल्प परम्परा का व्यापक स्तर पर उपयोगी अध्ययन कर सकते हैं। ऐसे अध्ययनों का लाभ पूरे देश को मिलेगा। शिक्षा ही किसी भी व्यक्ति या समुदाय के विकास का सबसे प्रभावी माध्यम होता है। अत: जनजातीय समुदाय के शैक्षिक विकास के लिये प्रयास करना आवश्यक है।
राष्ट्रपति कोविन्द ने मध्यप्रदेश में किये जा रहे कार्यों की सराहना की। उन्होंने कहा कि यह प्रशंसा की बात है कि मध्यप्रदेश में एकलव्य जनजातीय आवासीय विद्यालयों के निर्माण एवं संचालन पर विशेष बल दिया जा रहा है। साक्षरता और शिक्षा के प्रसार के लिये मध्यप्रदेश में कन्या शिक्षा परिसरों के निर्माण को प्रोत्साहित किया जा रहा है। राष्ट्रपति ने रानी दुर्गावती एवं शंकरशाह के नाम से स्थापित किये गये पुरुस्कारों की सराहना भी की।
राष्ट्रपति कोविन्द ने शासन की योजनाओं की जानकारी का उल्लेख भी अपने उद्बोधन में किया। उन्होंने कहा कि महिला सशक्तिकरण योजना अनुसूचित जनजाति विकास के लिये विशेष योजना है। राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति वित्त एवं विकास निगम द्वारा योजना के तहत रियायती दर पर वित्तीय सहायता दी जाती है। हमारी जनजातीय बहनों और बेटियों को ऐसी योजनाओं से मदद लेकर आगे बढऩा चाहिए। हम सबको मिलकर यह प्रयास करना है कि हमारे जनजातीय भाईयों, बहनों को आधुनिक विकास में भागीदारी करने का लाभ मिले और साथ ही उनकी जनजातीय पहचान और अस्मिता भी अपने सहज रुप में बनी रहे।
राष्ट्रपति कोविन्द ने अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस की अग्रिम शुभकामनाएँ सभी महिलाओं को दीं। यह दिन पूरे विश्व में महिलाओं के सशक्तिकरण के लिये संकल्पबद्ध होने का दिन है। आज से वर्षों पहले रानी दुर्गावती ने युद्ध क्षेत्र में महिला शक्ति का एक दुर्लभ उदाहरण पेश किया था। उस महान वीरांगना की स्मृति को नमन करते हुये सभी देशवासियों को विशेषकर सभी बहनों और बेटियों को अग्रिम महिला दिवस की बधाई देता हूँ।
राष्ट्रपति ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी का भी स्मरण किया। उन्होंने कहा कि सबसे पहले श्री अटल बिहारी बाजपेयी ने ही भारत सरकार में जनजातीय कार्य मंत्रालय का गठन किया था। उनका मानना था कि एक ऐसा मंत्रालय पृथक से होना चाहिए, जो जनजातीय वर्ग के लोगों के सर्वांगीण विकास के लिये कार्य करे। वर्तमान परिदृश्य में केन्द्र सरकार के साथ राज्य सरकारों द्वारा भी इस विभाग का संचालन किया जा रहा है।
राज्यपाल आनन्दीबेन पटेल ने कहा कि जीवन जीने की कला हमारे जनजातीय भाइयों के पास है। समूह में जीना, कदम से कदम मिलाकर चलना, कठिनाइयों में भी जिंदगी में जुनून भरना उनके जीवन का मूल मंत्र है। वे कला और संस्कृति की समृद्ध विरासत को संजोए हुए हैं।
राज्यपाल ने कहा कि वास्तव में जनजातीय समुदाय के पास शहरी लोगों को सिखाने के लिए बहुत कुछ है। जब हम जनजातीय समुदाय के साथ काम करते हैं, तो हमें हमेशा खुले दिमाग से काम करना चाहिए। हमें हमेशा विनम्रता बनाए रखनी चाहिए। तभी हम उन महत्त्वपूर्ण पाठों को सीख सकते हैं जो जनजातीय समुदाय शहरी लोगों को सिखा सकता है।
राज्यपाल पटेल ने कहा कि ऐसे अनेक लोग हैं जिन्हें जंगल की जड़ी बूटियों के अंदर औषधीय ताकत की पहचान है। उनके ज्ञान को सहेजना और जिस मेडिकल साइंस को दुनिया समझती है, उसमें प्रस्तुत करना और उसका विश्व बाजार में कैसे उपयोग हो सकता है, इस दिशा में चिंतन किया जाना चाहिए। उन्होंने बताया कि प्रदेश में समावेशी विकास के मंत्र “सबका साथ-सबका विकास” के राष्ट्रीय लक्ष्य के अनुसार जनजातीय समुदाय के विकास को एक महत्वपूर्ण घटक के रूप में सम्मिलित किया गया है। प्रदेश में जनजाति जनसंख्या के अनुपात में 21 प्रतिशत से अधिक बजट प्रावधान करके आदिवासी उप-योजनाओं के अंतर्गत विभिन्न विभागों के माध्यम से योजनाएँ संचालित कर जनजाति वर्ग के हितग्राहियों को लाभान्वित किया जा रहा है।
राज्यपाल पटेल ने कहा कि आदिवासी भाई बहनों को राज्य सरकार द्वारा संचालित योजनाओं की प्रक्रिया को सरल सुगम एवं ऑनलाइन उपलब्ध कराने के लिए सॉफ्टवेयर विकसित किया गया है। उनके शैक्षणिक विकास के लिए छात्रवृत्ति वितरण व्यवस्था को भी सुगम बनाया गया है। प्रदेश में करीब 25 लाख जनजातीय विद्यार्थियों को 465 करोड़ रुपए की छात्रवृत्ति गतवर्ष प्रदान की गई है।
राज्यपाल ने कहा कि जनजातीय क्षेत्रों में कृषि एवं उद्यानिकी उत्पादों के लिए जैविक प्रमाणीकरण प्रोटोकॉल स्थापित किया जायेगा। अनुसूचित जनजातियों को लघु वनोपजों का बेहतर मूल्य दिलाने के लिये तेरह जिलों में 86 स्थानों पर वन-धन केन्द्र का विकास किया जा रहा है। नवीन 18 लघु वनोपजों को मिलाकर इस वित्तीय वर्ष में कुल 32 लघु वनोपजों के न्यूनतम समर्थन मूल्य का निर्धारण किया गया है।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि रानी दुर्गावती की गौरव गाथा कोई नहीं भूल सकता। उनके पराक्रम ने उनके विरोधियों को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया था। आज का दिन हमारे लिये महत्वपूर्ण है क्योंकि राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविन्द द्वारा सिंगौरगढ़ किले के संरक्षण कार्य के लिये होने वाले कार्यों का शिलान्यास किया गया है। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने रानी दुर्गावती के बलिदान दिवस पर प्रत्येक वर्ष तीन दिवसीय कार्यक्रम के आयोजन की घोषणा की। उन्होंने कहा कि यह कार्यक्रम देशभक्ति से ओतप्रोत होंगे। मुख्यमंत्री चौहान ने स्थानीय विधायक की मांग पर जबेरा विकासखण्ड की चौरई पंचायत में बड़ादेव मंदिर निर्माण के लिये हर संभव सहयोग करने और ग्राम कलहरा में खेरमाई मंदिर का निर्माण कराये जाने की घोषणा भी की।
मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि मध्यप्रदेश सरकार जनजातीय वर्ग के सर्वांगीण विकास के लिये कोई भी कोर-कसर नहीं छोड़ेगी। प्रशासन को निर्देश दिये गये हैं कि कोई भी जनजातीय भाई बिना पट्टे के न छूटे। उन्हें जोडक़र उनके अधिकार का पट्टा दिलायें। उन्होंने कहा कि इस वर्ष जनजातीय वर्ग के बालकों को प्रतिमाह 1300 और बालिकाओं को 1340 रुपये छात्रवृत्ति देने का कार्य प्रदेश सरकार करेगी। इतना ही नहीं, जो विद्यार्थी उच्च शिक्षा के लिये जिला एवं संभागीय मुख्यालय में अध्ययन के लिये जायेंगे और किराये के मकान में रहेंगे, उन्हें 2 हजार रुपये प्रतिमाह किराया भी दिया जायेगा।
कार्यक्रम में सिंग्रामपुर की ऐतिहासिक विरासत को प्रदर्शित करती वीडियो फिल्म का प्रदर्शन हुआ। इसके साथ ही रानी दुर्गावती की वीरगाथा पर एकलव्य विद्यालयों के छात्र-छात्राओं ने आकर्षक प्रस्तुतियाँ दी। साथ ही शास्त्रीय संगीत के ख्यातिलब्ध कलाकार सौंडक़ ने भी अपनी प्रस्तुति दी। राष्ट्रपति ने फिल्म एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों की सराहना की।
जनजातीय कलाकारों द्वारा कला प्रशिक्षण वर्चुअल क्लास के पोर्टल ‘’आदिरंग डॉट कॉम’’ का शुभारंभ भी राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविन्द ने किया। पोर्टल का निर्माण वन्या प्रकाशन द्वारा किया गया है।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द ने जनजातीय वर्ग के प्रतिभाशाली विद्यार्थियों को शंकरशाह और रानी दुर्गावती पुरस्कार से पुरस्कृत किया। कुमारी सारिका ठाकुर और मुस्कान रावत को रानी दुर्गावती पुरुस्कार तथा पंकज धुर्वे और रविन्द्र एड़पचे को शंकरशाह पुरुस्कार से सम्मानित किया गया। राष्ट्रपति ने उनके उज्जवल भविष्य की कामना भी की।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द ने सिंग्रामपुर में सिंगौरगढ़ किले के संरक्षण कार्य का शिलान्यास किया। इसके साथ ही उन्होंने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के नये गठित किये जबलपुर मण्डल को भी लोकार्पित किया। इस अवसर पर उन्होंने जिले में पर्यटन गतिविधियों को बढ़ावा देने की दृष्टि से 23.16 करोड़ रुपए की राशि के स्वीकृत कार्यों का भी शिलान्यास किया।
इसमें बेलाताल झील में पर्यटन अवसंरचना विकास कार्य होगा। पर्यटकों को बेहतर सुविधाएँ प्रदान करने के लिए इस परियोजना में पेयजल सुविधाएँ, रेन शेल्टर, पार्किंग क्षेत्र, जिम क्षेत्र, योग-स्थल, समारोह के लिए खुला उद्यान, ओपन एयर थिएटर, सीसीटीवी प्रणाली, सोलर पैनल प्रणाली, सॉवनियर शॉप, सार्वजनिक सुविधाएँ, फूड कोर्ट, कलात्मक पैदल-पथ, पानी के फव्वारे, बच्चों के खेलने का क्षेत्र, मार्ग, रसोई सहित बहु-प्रयोजन हाल आदि शामिल हैं। इससे स्थानीय रोजग़ार पैदा होगा और क्षेत्र में पर्यटकों की संख्या में वृद्धि होगी।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द का मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने गौंड़ कलाकार आनन्द श्याम द्वारा बनाई गई गौंड़ कलाकृति भेंट कर सम्मान किया। केन्द्रीय संस्कृति एवं पर्यटन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) प्रहलाद पटेल ने भी संबोधित किया। कार्यक्रम के प्रारंभ में प्रदेश की जनजातीय कार्य विभाग मंत्री मीना सिंह मांडवे ने स्वागत भाषण दिया। इस अवसर पर केन्द्रीय इस्पात राज्य मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते और नगरीय विकास मंत्री भूपेन्द्र सिंह मौजूद रहे।
0