देहरादून। भारतीय मृदा एवं जल सरंक्षण संस्थान Dehradun एवं कृषि विभाग के द्वारा संयुक्त रूप से संतुलित उर्वरक उपयोग से मृदा स्वास्थ्य प्रबन्धन विषय पर आयोजित वर्चुअल किसान गोष्ठी में कृषि मंत्री ने प्रतिभाग किया। इस गोष्ठी में Uttrakhand सहित देश के अन्य राज्यों यथा Jammu and Kashmir, Himachal Pradesh, Uttar Pradesh, Maharashtra, Madhya Pradesh, Karnataka, Haryana, Punjab, Rajasthan, Chhattisgarh and Kerala राज्यों के 225 से अधिक किसानों, 60 वैज्ञानिकों एवं अधिकारियों ने प्रतिभाग किया।
अपने सम्बोधन में कृषि मंत्री सुबोध उनियाल (Subodh Uniyal) ने संतुलित उर्वरक उपयोग एवं फसलों के जैविक स्रोत से पोषण सम्बन्धित परंपरागत तकनीकी ज्ञान के प्रचार-प्रसार की उपयोगिता पर बल दिया ताकि फसल उत्पादन की लागत को कम किया जा सके तथा मृदा उर्वरता को निरन्तर बनाए रखते हुए देश के किसानों की आय में वृद्धि की जा सकंे। आयोजित कार्यक्रम की अध्यक्षता भारतीय मृदा एवं जल सरंक्षण संस्थान, Dehradun के निदेशक डाॅ एम मधु द्वारा की गई।
Dr मधु द्वारा अपने सम्बोधन में संस्थान द्वारा मृदा पोषण सम्बन्धित विकसित की गई तकनीकों के विषय में जानकारी साझा करते हुए बताया गया कि देश के विभिन्न कृषि पारिस्थितिक क्षेत्रों में किसान किस प्रकार स्थानीय संसाधनों युक्त जैविक खादों एवं रासायनिक उर्वरकों का संयुक्त रूप से उपयोग कर सकते हैं ताकि देश की कीमती मृदा संसाधनों के स्वास्थ्य का टीकाऊ आधार पर प्रबन्धन करते हुए कृषि उत्पादन को लगातार जनसंख्या के वृद्धि के अनुरूप बढाया जा सके।
गोष्ठी में संस्थान के प्रधान वैज्ञानिक डाॅ डी मण्डल Dr D Mandal ने 04 आर0 एप्रोच के प्रयोग द्वारा उर्वरकों के न्यायसंगत उपयोग तथा डाॅ गोपाल कुमार द्वारा स्थानीय संसाधनों के उपयोग द्वारा समेकित पौध पोषण प्रणाली के विकास विषय पर व्याख्यान दिए गए। आयोजित कार्यक्रम का समन्वय संस्थान के प्रधान वैज्ञानिक डाॅ डी.वी सिंह एवं मुख्य कृषि अधिकारी देहरादून विजय देवराड़ी द्वारा किया गया।