देहरादून, आजखबर। वैडिंग डेस्टिनेशन के रूप में ‘शिव व पार्वती’ त्रियुगीनारायण मंदिर काफी लोकप्रिय हो रहा है। हिमालयी प्रदेश उत्तराखंड आदिकाल से पवित्र रहा है। देश व दुनिया के विभिन्न भागों से तीर्थयात्री, पर्यटक और मुसाफिर शांति और अध्यात्म के लिए इस सुरम्य प्रदेश के मंदिरों व तीर्थस्थानों पर आते रहे हैं। इन पवित्र स्थानों के प्रति लोगों की भक्ति और विश्वास इतने प्रगाढ़ हैं कि जन्म से लेकर मृत्यु तक तमाम धार्मिक संस्कारोंध्क्रियाओं के लिए वे उत्तराखंड की धरती पर आते रहते हैं। इन अनुष्ठानों में एक और चीज जुड़ गई है और वह है बर्फ से ढके हिमालय के पर्वतों की पृष्ठभूमि में मंदिर के प्रांगण में विवाह की रस्में।
इस मंदिर के पौराणिक महत्व और लोकप्रिय होते विवाह स्थल के बारे में पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने कहा, ’’त्रियुगीनारायण मंदिर प्रदेश के अहम धार्मिक स्थलों में से एक है। यह दर्शाता है कि उत्तराखंड पर भगवान शिव और भगवान विष्णु दोनों का ही आशीर्वाद है। यहां आकर विवाह करने की युवा दंपतियों में बढ़ती दिलचस्पी से साबित होता है कि हमारी नई पीढ़ी पुरातन परम्पराओं में विश्वास रखती है। स्थानीय लोगों के रोजगार के लिए भी यह अच्छा है। हम आशा करते हैं कि भविष्य में अधिक से अधिक लोग इस मंदिर में दर्शनों के लिए या विवाह के लिए आएंगे और भगवान-भगवती का आशिष ग्रहण करेंगे।’’उत्तराखण्ड का एक प्राचीन मंदिर जो हाल के दिनों में वैवाहिक अनुष्ठान के लिए लोकप्रिय होने लगा है, वह है त्रियुगीनारायण मंदिर जिसे त्रिजुगी नारायण भी कहते हैं। यह उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित है। सोनप्रयाग से सड़क मार्ग से 12 किलोमीटर का सफर करके यहां पहुंचा जा सकता है। 1980 मीटर की ऊंचाई पर स्थित यह प्रकृति मनोहर मंदिर गढ़वाल मंडल के बर्फ से ढके पर्वतों का भव्य मंजर पेश करता है। यहां पहुंचने के लिए एक ट्रैक भी है। सोनप्रयाग से 5 किलोमीटर लंबे गुट्टूर-केदारनाथ पथ पर घने जंगलों के बीच से होते हुए यहां पहुंचा जा सकता है। केदारनाथ मंदिर से त्रियुगीनारायण तक की ट्रैकिंग दूरी 25 किलोमीटर है