अप्रैल माह तक का वेतन बांटने में आ सकती हैं दिक्कतें
लखनऊ। लॉकडाउन के दूसरे दौर के शुरू होने के साथ ही अब यूपी रोडवेज की मुश्किलें भी बढ़ती दिखायी दे रही हैं। बता दें कि सोशल डिस्टेंसिंग को ध्यान में रखते हुए जैसे ही केंद्र ने रेलवे संचालन को बंद करने का निर्णय लिया तो इसके बाद प्रदेश सरकार ने भी इस पर गंभीरता से मंथन करते हुए रोडवेज संचालन को बंद करने का फैसला लिया। इसके तहत लॉकडाउन शुरू होने के साथ ही प्रदेश में रोडवेज बसों का पहिया भी थम गया और देखा जाये तो इसके साथ ही रोडवेज को रोजाना बसों के परिवहन द्वारा मिलने वाली आय भी एक तरह से लॉक हो गई। अब लॉकडाउन का दौर लंबा होने की वजह से उत्तर प्रदेश राज्य सडक़ परिवहन निगम प्र्रबंधन के माथे पर चिंता की लकीरें दौडऩे लगी हैं। अब स्थिति यह है कि अप्रैल माह में वेतन बांटना भी मुश्किल हुआ जा रहा है। वैसे बता दें कि स्थानीय प्रशासन की मांग पर लॉकडाउन के बीच कुछ रूटों पर रोडवेज बसें चलायी गर्इं, मगर वो एक तरह से ऊंट के मुंह में जीरा के समान हैं। जानकारों की मानें तो हर दिन रोडवेज को तकरीबन 15 से 16 करोड़ का चूना लग रहा है। ऐसे में आगामी तीन मई तक लॉकडाउन में बसें बंद रहीं तो तब तक 600 करोड़ से अधिक का चपत यूपी रोडवेज का लग जायेग। गौर हो कि यूपी रोडवेज की बसों में हर दिन लगभग 16 से 17 लाख यात्री सफर करते हैं और इससे होने वाली इनकॅम में से करीब 28-30 फीसद राशि रोडवेज कर्मियों को मासिक वेतन बांटने में खर्च हो जाता है। मगर अब जबकि पूरी तरह देशव्यापी लॉकडाउन का दौर है, ऐसे में रोडवेज के समक्ष बड़ा आर्थिक संकट है।