रक्षात्मक व्यापार नीति से बचना होगा: एपेक

नईदिल्ली। एशिया-प्रशांत आर्थिक सहयोग (एपेक) ने कोविड-19 की चुनौती का सामना सभी देशों को मिलकर करने की सलाह देते हुये अंतरराष्ट्रीय व्यापार में रक्षात्मक नीति से बचने की वकालत की है। एपेक की कार्यकारी निदेशक रिबेका फातिमा मारिया ने वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम और विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में यह बात कही।

उन्होंने कहा कि कोविड-19 के बाद की चुनौती का सामना करना किसी एक देश के वश की बात नहीं है। राष्ट्रों को मुक्त व्यापार की नीति अपनानी चाहिये तथा आयात पर गैर-जरूरी कर और प्रतिबंध लगाने से बचना चाहिये।उन्होंने कहा (अर्थव्यवस्था पर) वायरस का काफी गंभीर प्रभाव पड़ा है। यह महत्वपूर्ण है कि हम खुले बाजार की नीति अपनायें और रक्षात्मक उपायों से बचें। चिकित्सा उत्पादों तथा अनिवार्य वस्तुओं के बारे में यह और भी महत्वपूर्ण हो जाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के पश्चिम प्रशांत क्षेत्र के क्षेत्रीय निदेशक डॉ. ताकेशी कासाई ने कहा कि यह महामारी इतनी जल्दी समाप्त होने वाली नहीं है। हमें इसके साथ जीना सीखना होगा। राष्ट्रों को बड़े पैमाने पर सामुदायिक संक्रमण के लिए तैयार रहना होगा।

डॉ. कासाई ने कहा एशिया-प्रशांत क्षेत्र के देशों ने संक्रमितों की पहचान, उनके संपर्क में आने वाले लोगों का पता लगाने और सामाजिक गतिविधियों पर प्रतिबंध जैसे उपाय समय पर अपनाकर बड़े नुकसान को टाल दिया है। हमें इस वायरस के साथ जीना सीखना होगा। प्रतिबंधों में धीरे-धीरे ढील दी जानी चाहिए। हमें इस तरह की नयी सामान्य परिस्थिति बनानी होगा जहाँ जीवन और आजीविका के बीच चयन का प्रश्न न हो, दोनों साथ-साथ चले।

मारिया ने बताया कि हालाँकि कोविड-19 के कारण अंतरराष्ट्रीय व्यापार पर काफी बुरा प्रभाव पड़ा है, लेकिन दवाओं और चिकित्सा सामग्रियों के उत्पादों का व्यापार बढ़ गया है। कोरोना से संबंधित चिकित्सा उत्पादों का 10 खरब डॉलर का व्यापार हो चुका है। यह इन उत्पादों के सालाना वैश्विक व्यापार का 40.8 प्रतिशत है हालाँकि यह भी ध्यान देने वाली बात है कि इसमें 90 प्रतिशत व्यापार में महज 10 देश ही शामिल हैं।

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