मिर्जापुर के बाद फिल्म शेरदिल में फिर नजर आएंगे पंकज त्रिपाठी और रसिका दुग्गल

मिर्जापुर के बाद फिल्म शेरदिल में फिर नजर आएंगे पंकज त्रिपाठी और रसिका दुग्गल

मिर्जापुर के बाद फिल्म शेरदिल में फिर नजर आएंगे पंकज त्रिपाठी और रसिका दुग्गल

डिजिटल प्लेटफॉर्म पर दिग्गज अभिनेता पंकज त्रिपाठी ने अपने अभिनय का जौहर दिखाया है। वेब सीरीज मिर्जापुर ने पंकज के करियर को एक नया आयाम दिया है। इस सीरीज में पंकज ने बाहुबली गैंगस्टर कालीन भईया का किरदार निभाया था। वहीं, इस सीरीज में अभिनेत्री रसिका दुग्गल ने उनकी पत्नी की भूमिका निभाई थी। खबरों की मानें तो मिर्जापुर के बाद पंकज और रसिका आगामी फिल्म शेरदिल में नजर आ सकते हैं।

रिपोर्ट के मुताबिक, मिर्जापुर में साथ नजर आने के बाद पंकज और रसिका की जोड़ी आगामी फिल्म शेरदिल में एक बार फिर नजर आ सकती है। यह फिल्म रिलायंस एंटरटेनमेंट के बैनर तले बनने वाली है। इस फिल्म में इंसान और जानवरों के बीच के संघर्ष को दिखाया जाएगा। श्रीजीत मुखर्जी इस फिल्म में निर्देशन की कमान संभालेंगे। उन्होंने इससे पहले बेगम जान और नेटफ्लिक्स की रे की एक खास कहानी को निर्देशित किया है।

रिपोर्ट्स के मुताबिक, फिल्म की कहानी काफी दिलचस्प होगी

फिल्म की कहानी उत्तराखंड के एक ऐसे गांव की है, जहां अक्सर प्राकृतिक आपदा आती रहती है। पंकज उस गांव की पंचायत के प्रमुख के किरदार में दिखाई देंगे। वह जंगलों में जाते दिखाई देंगे। उन्हें अक्सर आपदा व जानवरों से अपने परिवार को बचाने के लिए संघर्ष करते हुए देखा जाएगा। श्रीजीत ने इस फिल्म को सुदीप निगम के साथ मिलकर लिखा है।

इस फिल्म में रसिका पंकज की पत्नी की भूमिका में फिर से दिखाई देंगी। शिप ऑफ थिसियस और शेरनी में काम करने वाले अभिनेता नीरज काबी भी इस फिल्म का हिस्सा होंगे। इस फिल्म का ऐलान 2019 में ही हो गया था। कोरोना महामारी के कारण 2020 में फिल्म की शूटिंग शुरू नहीं हो पाई थी। मेकर्स नवंबर या दिसंबर में उत्तराखंड के लोकेशन पर फिल्म को शूट करने की योजना बना रहे हैं।

फिल्म की कहानी एक सच्ची घटना से प्रेरित होगी। यह श्रीजीत का महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट है। फिल्म की कहानी 2017 में पीलीभीत टाइगर रिजर्व में हुई सच्ची घटना पर आधारित है। इस घटना ने वन विभाग के होश उड़ा दिए थे। गांव के लोग अपने घर के बड़े और बुजुर्ग हो चुके लोगों को जंगलों में भेजते थे, जहां टाइगर उन्हें अपना शिकार बना लेता था। गांव वालों द्वारा सरकारी मुआवजा हासिल करने के लिए ऐसा किया जाता था।

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