पहाड़ में दम तोड़ती खेती से किसान मायूस, सरकार से लगाई मदद की गुहार

देहरादून। जैविक तरीके से तैयार होने वाली पहाड़ी सब्जियों में शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के साथ ही कोरोना वायरस से लड़ने की क्षमता भी भरपूर होती है। जिसकी वजह से कोरोनाकाल में पहाड़ी क्षेत्र में रोजगार के अवसरों को भी बढ़ावा मिलने लगा है। साथ ही महानगरों में पहाड़ी उत्पादों की डिमांड भी तेज हुई है। लेकिन जंगली जानवरों के आतंक और सरकार की तरफ से कोई मदद न मिलने के कारण पहाड़ में खेती कम होती जा रही है। वहीं, मांग के अनुसार पूर्ति न होने पर अब काश्तकारों से साथ कारोबारियों को भी इसकी चिंता सताने लगी है।
बेतालघाट ब्लाक के बोरा दंपति पिछले 20 सालों से ऑर्गनिक खेती और मसालों की चक्की में मेहनत करके मुनाफा खोज रहे हैं। जैविक खाद से तैयार पहाड़ी भट्ट, गहथ, उड़द आदि दालों के साथ ऑर्गेनिक मसालों के इनके कारोबार को कोरोनाकाल में बल भी मिलने लगा। उच्च तकनीकि व बेहतर ब्रांडिंग से मार्केट में इनके उत्पादों की डिमांड भी बढ़ी है। वहीं, कोरोना के बाद दिल्ली समेत अन्य महानगरों से इन्हें 15 से 20 लाख रुपए प्रति माह का ऑर्डर भी मिल रहे हैं। जिससे पहाड़ के इन काश्तकारों को अब मुनाफा होने लगा है। हालांकि, गांव में कम हो रही खेती के चलते इस काश्तकार दंपति को दाल और मसालों का ऑर्डर पूरा करने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। लेकिन बोरा दंपति ने खुद के प्रयास से लघु उद्योग का निर्माण किया है। ताकि पहाड़ की ऑर्गेनिक उत्पादों को देश-विदेश तक पहुंचाया जा सके।

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