नायडू ने राज्यसभा के नए सांसदों को पढ़ाया संसदीय पाठ

नायडू ने राज्यसभा के नए सांसदों को पढ़ाया संसदीय पाठ

नायडू ने राज्यसभा के नए सांसदों को पढ़ाया संसदीय पाठ

नई दिल्ली। राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू ने शनिवार को सदन के सदस्यों से कहा कि वे ऐसा कुछ मत करें या कहें जिससे भारत की छवि को नुकसान पहुंचता हो और जिसका इस्तेमाल देश के दुश्मन कर सकते हों।ऊपरी सदन के नए सदस्यों के लिए ओरिएंटेशन कार्यक्रम के उद्घाटन के मौके पर उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि चर्चा, तर्क-वितर्क और निर्णय लेना लोकतंत्र के मंत्र हैं तथा सदस्यों को सदन में व्यवधान का रास्ता नहीं अपनाना चाहिए। नायडू ने कहा कि स्वतंत्र लेखन और अभिव्यक्ति की लोकतंत्र में अनुमति है, लेकिन ये समाज में कड़वाहट का कारण नहीं बनना चाहिए। उन्होंने राज्यसभा सदस्यों का आह्वान किया कि वे नियमों का हवाला देकर सदन में व्यवधान पैदा नहीं करें।

सभापति ने इस बात का उल्लेख किया कि विपक्षी सदस्य अक्सर नियम 267 का हवाला देते हैं, लेकिन इसका इस्तेमाल आपात परिस्थिति में ‘ब्रह्मास्त्र’ के तौर पर होना चाहिए। नायडू ने कहा कि सदन में अक्सर व्यवधान पैदा हो जाता है और यह कुछ नियमों का हवाला देते हुए होता है। अगर आप बार-बार नियम 267 की मांग करेंगे तो सदन नहीं चला सकते। उल्लेखनीय है कि नियम 267 के तहत संबंधित दिन के संसदीय कामकाज को रद्द कर उस मुद्दे पर चर्चा की जाती है जिसकी मांग इस नियम के तहत की गई हो। विपक्षी सदस्य सदन में अक्सर इस नियम का हवाला देते हैं।मौजूदा बजट सत्र में भी कांग्रेस और कुछ अन्य विपक्षी दलों ने इसी नियम के तहत महंगाई और किसानों के मुद्दों पर चर्चा की मांग की। नायडू ने सदस्यों से कहा कि वे एकजुट और समावेशी भारत के लिए बात करें और काम करें।

उन्होंने कहा कि हमारे राजनीतिक मतभेद हो सकते हैं। हम एक दूसरे का विरोध करते हैं। परंतु जब देश की बात आती है तो उस समय हमें ऐसा कुछ नहीं करना या कहना चाहिए जिससे देश की छवि को नुकसान पहुंचे तथा देश के शत्रु उसका इस्तेमाल करें और कहें कि ऐसा भारत की संसद में कहा गया है।

Exit mobile version