वॉशिंगटन। ब्लैक होल जितने रहस्यमय होते हैं, उनके उस पार क्या है यह जानने के लिए वैज्ञानिक उतने ही उत्सुक होते हैं। अब दो फिजिसिस्ट्स ने ब्लैक होल में दाखिल होने के लिए जरूरी स्थितियों के बारे में बताया है। हालांकि, यह वन-वे ट्रिप ही होगी क्योंकि ब्लैक होल से रोशनी भी वापस नहीं आ पाती है, इंसान के लौटने की संभावना न के बराबर है। ग्रिनेव कॉलेज के असिस्टेंट प्रफेसर लियो और शंशान रॉड्रीकस ने ब्लैक होल के दो आकार की आपस में तुलना की।
अलग-अलग ब्लैकहोल में अंतर क्या?
इसमें से एक का सितारे के बराबर द्रव्यमान सूरज के बराबर था और दूसरे महाविशाल ब्लैक होल का सूरज से अरबों गुना ज्यादा। छोटे ब्लैक होल रोटेट नहीं करते हं और इनके इवेंट होराइजन का रेडियस काफी कम होता है। यह वह जगह होती है जिसके आगे निकलने के बाद कुछ वापस नहीं आ सकता। यहां गुरुत्वाकर्षण का असर इतना ज्यादा होता है।
दूसरी ओर महाविशाल ब्लैक के इवेंट होराइजन का रेडियस 7.3 लाख मील होता है। दोनों के केंद्र और इवेंट होराइजन के बीच गुरुत्वाकर्षण में हजारों बिलियन गुना अंतर होता है।
महाविशाल ब्लैकहोल में नहीं होगा ऐसा असर?
अगर कोई ब्लैक होल के इवेंट होराइजन को पार करता है तो वह प्रक्रिया से होकर गुजरता है। इसमें उसके शरीर का हर ऐटम लंबे स्ट्रैंड में खिंच जाता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि स्पेसटाइम में एक पॉइंट पर गुरुत्वाकर्षण दूसरे पॉइंट से बहुत ज्यादा होता है। जाहिर है, ऐसा होने पर ब्लैक होल के अंदर जीवित रहना नामुमकिन है।
हालांकि, अगर कोई शख्स महाविशाल ब्लैकहोल में गिरे तो वह फ्रीफॉल में होगा और उसका नहीं होगा। इसके पीछे कारण है इवेंट होराइजन से ब्लैक होल के बीच की विशाल दूरी। हालांकि, यह सफर वन-वे ही होगा क्योंकि ब्लैक होल से कुछ वापस नहीं आ सकता है।