लखनऊ : यूपी में होने वाले चुनावों के मद्देनजर राहुल गांधी के करीबी रहे जितिन प्रसाद का बीजेपी में शामिल होना कांग्रेस के लिए बड़ा झटका है। पिछले साल गैर गांधी कांग्रेस अध्यक्ष की मांग करने पर पार्टी में उनका भारी विरोध हुआ था। लेकिन बगावत जितिन को परंपरा में मिली है। उनके पिता कुंअर जितेंद्र प्रसाद ने भी साल 2000 में कांग्रेस के अध्यक्ष पद के लिए सोनिया गांधी को चुनौती दी थी।
साल 1998 में जब सोनिया गांधी ने कांग्रेस के अध्यक्ष पद के लिए चुनाव लड़ने का ऐलान किया तो उन्हें कांग्रेस का सदस्य बने महज एक साल ही हुआ था। उन्होंने 1997 में ही कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता ली थी। 1998 में उन्होंने कांग्रेस का अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ने का ऐलान किया। उस समय रहे कांग्रेस अध्यक्ष सीताराम केसरी के उस समय तक पांच साल पूरे नहीं हुए थे लेकिन वह इसका खुलकर विरोध नहीं कर सके।
साल 2000 में राजेश पायलट ने योजना बनाई कि वह सोनिया के खिलाफ अध्यक्ष पद के लिए खड़े होंगे। उन्होंने जितेंद्र प्रसाद के साथ पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के जन्मदिन 21 मई को जबर्दस्त रैली भी की। लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था। इसके 20 दिन के भीतर 11 जून को उनकी एक कार दुर्घटना में मौत हो गई।
अब बगावत का झंडा थामने को सिर्फ जितेंद्र प्रसाद का हाथ रह गया। अब उन्होंने 2000 के अध्यक्ष पद के चुनाव में सोनिया का विरोध करने की ठानी। वह सोनिया के मुकाबले अध्यक्ष पद के लिए खड़े हुए। नवंबर 2000 में चुनाव हुए, लेकिन उन्हें बुरी तरह हार का सामना करना पड़ा। चुनाव में पड़े 7,542 वोटों में से उन्हें महज 94 वोट मिले। जितेंद्र प्रसाद इस करारी हार को बर्दाश्त नहीं कर सके और 16 जनवरी 2001 को ब्रेन हैमरेज से उनकी मृत्यु हो गई।