खिलौना उद्योग में छिपी ताकत को बढ़ाना जरूरी : मोदी

खिलौना उद्योग में छिपी ताकत को बढ़ाना जरूरी : मोदी

खिलौना उद्योग में छिपी ताकत को बढ़ाना जरूरी : मोदी

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए शनिवार को इंडिया टॉय फेयर 2021 का उद्घाटन किया। देसी खिलौना को बढ़ावा देने के मकसद से आयोजित ये वर्चुअल मेला 4 दिन तक चलेगा। उन्होंने खिलौना निर्माताओं से कम प्लास्टिक, अधिक रिसाइकिल करने योग्य सामग्री का उपयोग करने को कहा है। खिलौने एक बच्चे के दिमाग के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और बच्चों में साइकोमोटर और संज्ञानात्मक कौशल को बेहतर बनाने में भी मदद करते हैं। अगस्त 2020 में अपने मन की बात संबोधन में, प्रधान मंत्री ने कहा था कि खिलौने न केवल गतिविधि में वृद्धि करते हैं, बल्कि आकांक्षाओं की उड़ान के लिए भी जरूरी हैं।
आत्मनिर्भर भारत अभियान में वोकल फॉर लोकल के तहत देश को खिलौना निर्माण का वैश्विक हब बनाने के मकसद से शिक्षा मंत्रालय, महिला व बाल विकास मंत्रालय और कपड़ा मंत्रालय मिलकर इसका आयोजन करवा रहे हैं। भारत खिलौना मेला के लिए अभी तक 10 लाख से अधिक रजिस्ट्रेशन हो चुके हैं।

भारत खिलौना मेला-2021 के उद्घाटन समारोह पर पीएम मोदी ने कहा, आप सभी से बात करके ये पता चलता है कि हमारे देश के खिलौना उद्योग में कितनी बड़ी ताकत छिपी हुई है। इस ताकत को बढ़ाना, इसकी पहचान बढ़ाना,आत्मनिर्भर भारत अभियान का बहुत बड़ा हिस्सा है। उन्होंने कहा कि पहला खिलौना मेला केवल एक व्यापारिक या आर्थिक कार्यक्रम भर नहीं है। यह कार्यक्रम देश की सदियों पुरानी खेल और उल्लास की संस्कृति को मजबूत करने की एक कड़ी है।

पीएम मोदी ने कहा कि सिंधुघाटी सभ्यता, मोहनजो-दारो और हड़प्पा के दौर के खिलौनों पर पूरी दुनिया ने रिसर्च की है। प्राचीन काल में दुनिया के यात्री जब भारत आते थे, तो भारत में खेलों को सीखते भी थे और अपने साथ लेकर भी जाते थे।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आज जो शतरंज दुनिया में इतना लोकप्रिय है, वो पहले ‘चतुरंग या चादुरंगा’ के रूप में भारत में खेला जाता था। आधुनिक लूडो तब ‘पच्चीसी’ के रुप में खेला जाता था। हमारे धर्मग्रन्थों में भी बाल राम के लिए अलग-अलग कितने ही खिलौनों का वर्णन मिलता है।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि जिस तरह भारतीय जीवनशैली का हिस्सा रहे हैं, वही हमारे खिलौनों में भी दिखता है। ज्यादातर भारतीय खिलौने प्राकृतिक और इको फ्रेंडली चीजों से बनते हैं, उनमें इस्तेमाल होने वाले रंग भी प्राकृतिक और सुरक्षित होते हैं।
हमारे यहां खिलौने ऐसे बनाए जाते थे, जो बच्चों के चहुंमुखी विकास में योगदान दें। आज भी भारतीय खिलौने आधुनिका फैंसी खिलौनों की तुलना में कहीं सरल और सस्ते होते हैं, सामाजिक-भौगोलिक परिवेश से जुड़े भी होते हैं।

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