लंदन । ब्रिटेन में कोरोना वायरस (कोविड-19) महामारी की दूसरी लहर के बीच वैज्ञानिक एक ऐसी दवा का परीक्षण कर रहे हैं जिसकी मदद से संक्रमित लोगों को गंभीर रूप से बीमार पडऩे से बचाया जा सके। ब्रिटेन के दैनिक समाचार पत्र ‘द गार्जियन’ की रिपोर्ट के मुताबिक यह एक एंटीबॉडी थेरेपी है जिसे यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन अस्पताल और दवा निर्माता कंपनी एस्ट्राजेनेका ने मिलकर विकसित किया है।
यह एंटीबॉडी थेरेपी विषाणु वैज्ञानिक कैथरीन हाउलीहान के नेतृत्व में विकसित की जा रही है। कैथरीन ने कहा, यदि हम यह साबित कर पाते हैं कि इस थेरेपी के जरिये कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों को कोविड-19 होने से बचाया जा सकता है तो इस वायरस के खिलाफ जारी लड़ाई में एक मजबूत और कारगर हथियार साबित हो सकता है। इस थेरेपी की मदद से मरीजों में काफी कम समय में ही एंटीबॉडी विकसित हो जायेंगे जो करीब छह से 12 महीने तक कोविड-19 से उनकी रक्षा कर सकते हैं। यदि इस थेरेपी को मान्यता मिल जाती है तो मार्च अथवा अप्रैल से आम लोग भी इसका इस्तेमाल कर सकेंगे।
गौरतलब है कि गत सप्ताह ब्रिटेन में कोरोना वायरस (कोविड-19) के नये स्वरूप (स्ट्रेन) का पता चला है जोकि देश में बहुत ही तेजी से फैल रहा है। वायरस का नया स्ट्रेन कोविड-19 महामारी का कारण बनता है और यह 70 फीसदी अधिक संक्रामक है।