आपातकाल लोकतंत्र का काला अध्यायः कौशिक

आपातकाल लोकतंत्र का काला अध्यायः कौशिक

आपातकाल लोकतंत्र का काला अध्यायः कौशिक

देहरादून, । स्वर्गीय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा 25 जून 1975 को लगाया गया आपातकाल भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में एक काला धब्बा है, जब ना सिर्फ विपक्षी नेताओं को जेलों में ठूंस दिया गया था बल्कि प्रेस पर भी सेंसरशिप लगा दी गई थी।

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक ने आज कारगीचैक स्थित एक वेडिंग प्वाइंट पर आपातकाल दिवस पर भाजपा कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि कांग्रेस ने देश में एक सत्ताभोगी जमात पैदा की, जब जब इस के हितों के विरुद्ध कोई खड़ा हुआ तो उसकी आवाज दबाने का काम कांग्रेस ने किया 25 जून 1975 को देश पर थोपा गया आपातकाल इसका सबसे बड़ा उदाहरण है क्या विपक्षी दल, क्या प्रेस, क्या न्यायपालिका सभी का गला घोटने का काम इस आपातकाल के दौरान हुआ, नागरिकों के अधिकार समाप्त कर दिए गए , पर स्वर्गीय जननायक जय प्रकाश नारायण एवं अटल बिहारी वाजपेई जैसे नेताओं के नेतृत्व में जनता ने इसका प्रतिकार किया और 1977 में तानाशाही शासन को उखाड़ फेंका। इसके लिए जेलों में बंद तत्कालीन जनसंघ के अटल बिहारी बाजपेई लालकृष्ण आडवाणी जैसे नेताओं और कार्यकर्ताओं ने अपने हाथों से क्रांति गीत और लेख लिखे और किसी न किसी माध्यम से उन्हें बाहर भिजवाया ताकि बाहर रहे कार्यकर्ता उनकी प्रतिलिपि बनाकर देशभर में आपातकाल के विरुद्ध आंदोलन खड़ा कर सकें।

आपातकाल में यात्रा का वह दौर हो या 1947 से लेकर 2014 तक जब भी भारत का लोकतंत्र खतरे में दिखा तो पहले जनसंघ तक तथा बाद में भाजपा के कार्यकर्ताओं ने सदैव उसके खिलाफ संघर्ष किया। कांग्रेस की मानसिकता आज भी वही तानाशाही व परिवारवादी है यही कारण है कि जनता ने उसे नकार दिया है।

धर्मपुर विधायक विनोद चमोली ने अपने संबोधन में कहा की कॉन्ग्रेस की जन विरोधी एवं दमनकारी नीतियों के कारण वह राजनीतिक दल के रूप में समाप्त होती चली गई और केवल सत्ता चलाने वालों का समूह बन कर रह गई, यही कारण है कि जनता ने अब उसे अस्वीकार कर दिया है और जनहित में कठोर निर्णय लेने वाली भाजपा निरंतर आगे बढ़ रही है। कार्यक्रम में आपातकाल के समय से भाजपा कार्यकर्ता महेश्वर बहुगुणा एवं गिरीश इस्टवाल को अध्यक्ष मदन कौशिक ने शाल ओढ़ाकर सम्मानित किया।

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